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बिहार विधानसभा अधिसूचना जारी होने के बढ़ते आसार के बीच मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल खेमा अचानक शांत पड़ गया है

अनूप नारायण सिंह 

मिथिला हिन्दी न्यूज :-सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी के बाद अगले महीने विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बढ़ते आसार के बीच मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल खेमा अचानक शांत पड़ गया है.तेजस्वी यादव की सभी कार्यकर्म को रद्द कर दिया गया है.बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र सभी राजनीतिक दल राजधानी से लेकर गांव-गांव तक चुनावी कार्यक्रम में व्यस्त हैं.ऐसे वक़्त में मुख्य विपक्षी दल राजद के अभियान पर कोरोना का साया पड़ता नजर आ रहा है. प्रतिपक्ष के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने खुद को घर में आइसोलेट कर लिया है.जब चुनाव के वक्त में जब सबसे ज्यादा सक्रिय होना चाहिए था तेजस्वी को तो मजबूरन आइसोलेशन में जाना पड़ा है.जिस कारण चुनाव से पहले राजद की गतिविधि ठप पड़ गयी है.तेजस्वी की सारी मिटिंग्स को रद्द कर दिया गया है.कम से कम एक-दो सप्ताह तक तेजस्वी राजनीतिक कार्यक्रम से दूर रह सकते हैं.उनके आवास पर उम्मीदवारी के लिए लगने वाली भीड़ अब छटने लगी है.धर के बाहर सन्नाटा पसर गया है.चुनावी टिकट की आस में कल तक राबड़ी देवी के आवास के बाहर भारी भीड़ जुट रही थी, लेकिन अब टिकट की आस में आने वाले दूर से ही निराश लौट रहे हैं.राजद नेता तेजस्वी यादव अपने राजनीतिक सलाहकार संजय यादव के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद आइसोलेशन में चले गए हैं.उन्होंने अपनी सभी मीटिंग रद्द कर दी है.मिलने वालों से कहा जा रहा है कि अभी तेजस्वी नहीं मिल सकते, बाद में आएं.


तेजस्वी के आइसोलेशन में जाने का असर राबड़ी आवास के बाहर दिख रहा है.यहां विधानसभा का टिकट पाने की उम्मीद लिए आए संभावित उम्मीदवार और उनके समर्थकों का दिन भर जमावड़ा लगा रहता था.मालूम हो कि तेजस्वी 21 अगस्त को दिल्ली गए थे.उनके साथ संजय यादव भी थे.वहीं पर संजय यादव को कोरोना के लक्षण दिखे.लिहाजा 22 अगस्त को वह तेजस्वी यादव के साथ रघुवंश प्रसाद सिंह से मिलने नहीं गए.संजय यादव की दिल्ली में ही जांच हुई, जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई.वह नेता प्रतिपक्ष के साथ पटना नहीं लौटे.संजय की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर तेजस्वी यादव ने भी खुद को सबसे अलग कर लिया है.उनके आइसोलेशन में जाने के बाद पार्टी की परेशानी भी बढ़ गई है.ये पहला चुनाव होगा जब राजद अपने सुप्रीमो लालू प्रसाद के बिना ही चुनाव मैदान में उतर रही है.न सिर्फ पार्टी का दारोमदार बल्कि महागठबंधन का पूरा जिम्मा तेजस्वी के कंधों पर है.

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