सदियों से चली आ रही भाई-बहन के अटूट बंधन का त्योहार "रक्षाबंधन" कोरोना काल में भी हर्षोउल्लास से मनाया गया।
एक दिन पहले से ही भाई बहन के घर व बहन भाई के घर आने जाने का सिलसिला चलता रहा। सुबह 09:27 बजे भद्राकाल की समाप्त हुआ। इसके बाद शुभ मुहूर्त में बहनों ने भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर रक्षा का संकल्प दिलायी।
इस दौरान बहनों ने विभिन्न प्रकार के मिठाइयों से भाइयों का मुंह मीठा किया और चंदन-रोली का टीका लगाकर भाइयों की लंबी उम्र की दुवाएं की।
तो वहीं भाइयों ने भी बहनों की रक्षा करने का संकल्प लिया। वहीं कई घरों में भाइयों ने करोना संक्रमण से बचाव को लेकर बहनों को अन्य उपहार के साथ-साथ मास्क भी प्रदान की।
इस अवसर पर क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के रक्षाबंधन के गीत गूंजता रहा. जैसे "चंदा रे मेरे भईया से कहना बहना याद करें"।
तो वहीं सीमावर्ती क्षेत्र के सैकड़ों बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने से वंचित रह गई। चुंकी रक्षाबंधन का पर्व इस बार कोरोना संकट के बीच मनाया गया, जिससे इंडो-नेपाल बॉर्डर की सील सीमाएं भाई और बहन के बीच दीवार बन गई।
कहा जा रहा है की आजादी के बाद यह पहला रक्षाबंधन का त्योहार रहा, जो कि कोरोना को लेकर भारत नेपाल सीमा सील रहने से दोनों देशों में रहने वाले भाई एवं बहनों को निराश होना पड़ा है।
मालूम हो कि भारत और नेपाल का बेटी-रोटी का रिश्ता माना जा रहा है। जहां हर वर्ष सीमावर्ती क्षेत्र के सैकड़ों लोगों का शादी-विवाह नेपाल में होती हैं, और हर वर्ष रक्षाबंधन के दिन दोनों देशों से भाई-बहन एक दुसरे के घर जाकर रक्षाबंधन का रस्म पुरा कर भाई बहन के रिस्तों को मजबूत बनाते हैं। लेकिन इस वर्ष व्हाट्सएप्प या फिर अन्य मोबाइल एप के जरिए भाई एवं बहनों ने भावुक होकर बधाई के साथ एक दुसरे का मंगलकामना फोन पर ही दे सकीं।