इन्द्र को सभी देवताओं का राजा माना जाता है। वही वर्षा पैदा करता है और वही स्वर्ग पर शासन करता है। वह बादलों और विद्युत का देवता है। इंद्र की पत्नी इंद्राणी कहलाती है।
इंद्रपद पर आसीन देवता किसी भी साधु और राजा को अपने से शक्तिशाली नहीं बनने देता था इसलिए वह कभी तपस्वियों को अप्सराओं से मोहित कर पथभ्रष्ट कर देता है तो कभी राजाओं के अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े चुरा लेता है।
ऋग्वेद के तीसरे मण्डल के वर्णनानुसार इन्द्र ने विपाशा (व्यास) तथा शतद्रु नदियों के अथाह जल को सुखा दिया जिससे भरतों की सेना आसानी से इन नदियों को पार कर गई। दशराज्य युद्ध में इंद्र ने भरतों का साथ दिया था। सफेद हाथी पर सवार इंद्र का अस्त्र वज्र है और वह अपार शक्तिशाली देव है। ऐसे माना जाता है कि इंद्र की सभा में गंधर्व संगीत से और अप्सराएं नृत्य कर देवताओं का मनोरंजन करते हैं।
इन्द्र के युद्ध कौशल के कारण आर्यों ने पृथ्वी के दानवों से युद्ध करने के लिए भी इन्द्र को सैनिक नेता मान लिया। इन्द्र के पराक्रम का वर्णन करने के लिए शब्दों की शक्ति अपर्याप्त है। वह शक्ति का स्वामी है, उसकी एक सौ शक्तियां हैं। चालीस या इससे भी अधिक उसके शक्तिसूचक नाम हैं तथा लगभग उतने ही युद्धों का विजेता उसे कहा गया है। वह अपने उन मित्रों एवं भक्तों को भी वैसी विजय एवं शक्ति देता है, जो उस को सोमरस अर्पण करते हैं। इन्द्र और वरुण नामक दोनों देवता एक दूसरे की सहायता करते हैं। वरुण शान्ति का देवता है, जबकि इन्द्र युद्ध का देव है एवं मरूतों के साथ सम्मान की खोज में रहता है।
कुछ जगहों पर इन्द्र को वर्षा के देवता माना जाता है,इसलिए कई जगह इन्द्र का भी पुजनोत्सव मनाया जाता है।बिहार के मधुबनी जिला में शहर के गंगा सागर तलाव के किनारे काली मंदिर परिसर में बहुत ही धूम धाम से महराजाधिराज कामेश्वर सिंह इन्द्र पूजा समिति के द्वारा इन्द्र पूजा सार्वजनिक रूप से किया जाता है। जो प्रसिद्ध है।इस इन्द्र पूजा को देखने दूर दूर से काफी लोग आते है। मनोरंजन के लिए समिति की ओर से मेला का भी व्यवस्था होता है। किसी तरह का अप्रिय घटना न हो इस कारण प्रशासनिक एवं स्वास्थ व्यवस्था भी चुस्त दुरुस्त रहती है।
इन्द्र पूजा समिति के अध्यक्ष कृष्नमोहन जी, मेला व्यवस्थापक कैलाश साह,सुरक्षा प्रभारी धीरेन्द्र झा,पूजा पंडाल प्रभारी अशोक श्रीवास्तव, प्रभुन्नंदन श्रीवास्तव,सतीश मेहता एवं अन्य सदस्यों ने बैठक करके बताया कि इस बार भी अन्य वर्षों के तरह पूजा में किसी भी प्रकार की कमी नहीं किया गया,परंतु कोरोना काल को देखते हुए एवं सरकार के निर्देशो का पालन करते हुए इस बार मेला का बंदोबस्त नहीं किया गया है।