मिथिला हिन्दी न्यूज़ (दलसिंहसराय/समस्तीपुर) - समस्तीपुर जिले का गौरवशाली एकलौता कृषि विश्वविद्यालय जो डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है। यह समस्तीपुर जिले के पूसा बाजार के नज़दीक स्थित है। जहाँ आज ए एकेडेमिक कॉउन्सिल की मीटिंग वर्चुअल तरीके से आयोजित की गई। इसकी अध्यक्षता विश्वविद्यालय कुलपति डॉ0 रमेश चंद्र श्रीवास्तव ने की। इसमें विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ0 एम0 एन0 झा मौजूद रहे। इस बैठक में सत्र 2020 - 22 से बी-टेक फूड टेक्नोलॉजी का चार वर्षीय डिग्री कोर्स शुरू का निर्णय लिया गया। साथ ही साथ जानकारी दी गई कि यह प्रोग्राम मल्टी इंस्टिट्यूशनल होगा जिसमें कॉलेज ऑफ बेसिक साइन्स एण्ड हयूमैनिटिज़ कॉलेज ऑफ कम्युनिटी साइन्स एवं कॉलेज ऑफिस एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग साइन्स मिलकर मदद करेगें। इसके अलावा यह भी जानकारी दी गई कि पावर इंजीनियरिंग एण्ड फार्म मशीनरी व प्रोसेसिंग एण्ड फूड इंजीनियरिंग में इंडस्ट्री तथा सर्विस कैंडिडेटस के लिए एक सीट पीएचडी में होगी। इसके अलावा और सभी कोर्स जिसमें स्नातकोत्तर एवं पीएचडी के लिए होंगे उनमें एक-एक सीट विदेशी छात्र, इंडस्ट्री प्रायोजित व सर्विस कैंडिडेट के लिए रहेगा। इस समय कोरोना वैश्विक महामारी यानि कोविड-19 के बीच ऑफलाइन एकेडमिक शिक्षण कार्य में कुछ दिक्कतें आ रही है जिसे देखते हुए अब सभी एकेडमिक शिक्षण कार्य ऑफलाइन व ऑनलाइन दोनों तरह से करने का निर्णय लिया गया है।
वहीं दूसरी तरफ जानकारी के लिए इसपर भी प्रकाश डाला जाना बहुत ही ज़रूरी है कि डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय पूसा समस्तीपुर का इतिहास क्या है। यह भारतवर्ष के राज्य बिहार के समस्तीपुर जिला अंतर्गत पूसा ब्लॉक में बाजार से बिल्कुल ही करीब में स्थित है। यह भारत के 26 कृषि विश्वविद्यालय में से एक है। जुलाई 2014 में इसे केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त हुआ। मूल रूप से यह संस्थान इम्पीरियल कृषि अनुसंधान संस्थान था जो ब्रिटिश शासनकाल में सन 1903 ई0 में स्थापित किया गया था। सन 1934 ई0 में बिहार में एक भयंकर भूकंप आया जिसमें इस संस्थान की मुख्य भवनें बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई। इसके बाद इस संस्थान को उसी वर्ष नई दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया। जिसे पूसा कैम्पस कहा गया। आगे चलकर दिल्ली स्थित इस संस्थान का नाम भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान कर दिया गया और पूसा में जो कुछ बचा रहा उसे पदावनत करके कृषि अनुसंधान स्टेशन कहा जाने लगा। इसके बाद 03 दिसम्बर 1970 ई0 को भारत सरकार ने इसी को नामान्तरित करके डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय के रूप में बदल दिया।