मिथिला हिन्दी न्यूज :-प्रथम पूज्य श्री गणेश पूजन के लिए मास के प्रत्येक चतुर्थी तिथि का अपना महत्व है परन्तु भाद्र पद मास की शुक्ल पक्ष चतुर्थी को गणेश जी का विशेष पूजा होता है।
इसबार भाद्र पद शुक्ल पक्ष चतुर्थी 22 अगस्त 2020 शनिवार के दिन पड़ रहा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार गणेश जी का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन ही हुआ था, इसलिए इस दिन से लेकर 10 दिन तक उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है।
विघ्नहर्ता श्रीगणेश के जन्मोत्सव के रूप में गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि सभी देवों में प्रथम पूजनीय गणेश जी की उत्पत्ति इसी शुभ मौके पर हुई थी। भक्त गणेश जी का विशेष आशीर्वाद पाने के लिए गणेश चतुर्थी पर पूजा अर्चना करते हैं। गणपति बप्पा को अपने घर लाते हैं और उन्हें स्थापित करते हैं। वो इस दौरान परिवार के सदस्य की तरह गणेश जी की सेवा करते हैं और उनसे जीवन में सुख समृद्धि और कामयाबी की कामना करते हैं। गणेश चतुर्थी के ग्यारहवें दिन भक्त उन्हें विसर्जित करते हैं और अगले बरस जल्दी आने की प्रार्थना करते हैं। गणपति बप्पा का आशीर्वाद मिलने से जीवन की कठिनाइयां दूर हो जाती हैं ऐसा भक्तो का श्री गणेश पर अडिग विश्वास होता है,साथ ही घर परिवार में खुशहाली का वास होता है।
संकट हरता गणेश का प्रत्येक वर्ष देश में पूरे धूम धाम से मनाया जाता है। साथ ही भाद्र पद मास के शुक्ल पक्ष चौथ को मिथिलांचल क्षेत्र में चौठचन्द्र पूजा भी प्रसिद्ध है। वैसे अन्य प्रांतों के लोग मानते है कि इस दिन चंद्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए कारण चंद्रमा को गणेश जी ने श्राप दिए थे जिससे चंद्रमा को मिथ्या कलंक लगा था। परन्तु मिथिला में एक कथा के अनुसार माना जाता है कि श्राप से मुक्ति पाने हेतु देवताओं ने गणेश जी को मनाने के लिए चंद्रमा को उपाय बताए थे,इस उपाय के तहत गणेश जी जल्दी प्रसन्न हो गए और बोले जो इस दिन हाथ में मोदक ,फल फूल लेकर चंद्रमा का दर्शन करेगा उस मिथ्या कलंक नहीं लगेगा। इसलिए इस दिन मिथिला में संध्या काल काल में रोहिणी सहित चौथ चन्द्र की पूजा होती है जो बहुत प्रसिद्ध है।
इस बार कोरोना काल को देखते हुए एवं सरकार के निर्देशो का पालन करते हुए अपने अपने घरों में ही विघ्न एवं संकट हर्ता श्री गणेश की पूजा करे, गणपती बाप्पा संकष्ट जरूर दूर करेंगे।
यह ध्यान देना जरूरी है कि इस दिन गणेश प्रतिमा की स्थापना मिट्टी का बना हुआ ही करें साथ ही गणेश मूर्ति बैठे हुए मुद्रा में और उनका सूंड बांए तरफ जुका हो।इसके बाद अपने निष्ठा एवं श्रद्धा अनुसार पूजा करे।
गणेश पूजा के लिए शुभ मुहुर्त दिन के 11 बज कर 07 मिनट से दिन के 01 बजकर 43 मिनट तक।
चौथ तिथि प्रारंभ 21 के रात्रि में 2 बजकर 07मिनट के उपरांत,
चौथ तिथि का समापन 22के रात्रि 11:43 तक।
वैसे अपने अपने क्षेत्रीय पंचांग अनुसार समय सारणी में अंतर हो सकता है।