जी हां, बसंतपुर गांव निवासी समस्तीपुर जिले के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता हरिश्चन्द्र राय जी अपने निवास स्थान वारिसनगर ब्लॉक के बसंतपुर गांव में लालू जी की पाठशाला पिछले एक साल से चला रहे है। यहाँ पर करीब 50-60 बच्चे आसपास के गांव से आकर अपनी पढ़ाई करते है। इनमे मुख्य रूप से वैसे बच्चे शामिल है जो दलित, पिछड़े व कमजोर वर्ग से आते है तथा जिनके पास इतनी सामर्थ्य नही है कि वो खुद अपने घर पर बच्चों को ट्यूशन पढ़ा सके। साथ ही कई ऐसे बच्चे भी शामिल है जो स्कूल ड्राप आउट है।जब इस बारे में हरिश्चन्द्र राय से पूछा गया कि उन्हें इसकी प्रेरणा कहाँ से मिली तो उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी प्रेरणा बाबा साहब अम्बेडकर और लालू जी से मिली। जहाँ बाबा साहब ने मंत्र दिया कि "शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो" वही लालू जी ने नारा दिया कि "पढ़ो या मरो"। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा ही बहुजनो के उत्थान के द्वार खोलेगा तथा समाज मे व्याप्त कुरीतियों, अंधविश्वासों और आडंबरों को मिटा पायेगा। इसी कारण वो सामाजिक चेतना मंच के माध्यम से भी पूरे समस्तीपुर जिला में शिक्षा की महत्ता पर जोर देते रहते है।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इसी शिक्षा के वजह से उनके दोनों पुत्र किसान घर मे पैदा लेने के वाबजूद उच्च स्तरीय सरकारी सेवा में अधिकारी के पद पर है। जहां उनका बड़ा लड़का संतोष कुमार राय IAS बनकर अरुणाचल प्रदेश में जिला कलेक्टर है वही छोटा लड़का सुबोध कुमार राय भारत सरकार में सांख्यिकी अधिकारी के पद पर दिल्ली में कार्यरत है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 35 सालों से उनकी कोशिश रही है कि उनके घर पर शिक्षक बच्चों को पढ़ाये जिससे घर सहित पूरे समाज मे शिक्षण का माहौल बना रहता है। इसी का नतीजा है कि उनके बच्चे इतने ऊंचे पद पर है।
जब उनसे यह पूछा गया कि अब तो उनके बच्चे की पढ़ाई हो चुकी है फिर भी वे यह पाठशाला क्यों चलाते है इस पर उनका कहना था कि उनके बच्चे तो पढ़ लिख कर अच्छा बन गए लेकिन अभी भी गांव समाज मे बहुत से ऐसे बच्चे है जो पढ़ना चाहते है, प्रतिभावान है लेकिन उनके पास उतने संसाधन नही है। इसीलिये उनका कहना है कि जब तक समाज में गरीबी रहेगी, अशिक्षा रहेगी तब तक उनका प्रयास "लालू जी की पाठशाला" के माध्यम से जारी रहेगा।इतना ही नही उनका यह भी कहना था कि अगर भविष्य में और ज्यादा संसाधन उनके पास आएगा तो वो इस निःशुल्क पाठशाला को और आगे ले जाएंगे तथा इसे एक बड़े स्कूल में तब्दील करेंगे ताकि गांव ही नही पूरे ब्लॉक और जिला स्तर पर सभी बच्चों को इसका लाभ मिल सके।इसके अलावा उनका यह भी कहना था कि इससे गरीब बच्चों को पढ़ाई जारी रखने में तो मदद मिलती ही है, साथ ही समाज के पढ़े लिखे मेधावी किंतु बेरोजगार लोगों को भी शिक्षक के रूप में इससे रोजगार मिलेगा।