अक्सर यह सुनने को मिलता है कि जैसा कर्म करोगे वैसा फल पाओगे।परंतु यह भी ध्यान देना अति आवश्यक होता है कि जीवन में कई बार ऐसी परिस्थितियों का निर्माण भी हो जाता हैं, उसे यश मिलना तो दूर कई बार कलंक का भागी भी बनना होता है। सभी मनुष्य अपने व्यवहार व विचार से अपने अनुसार अच्छा ही करता है परन्तु परिणाम जो भी हो परिणाम के बाद ही उसके द्वारा किए गए कर्मो के बारे में नकारात्मक या सकारात्मक का अनुभव होता है।
कई बार जब विद्यार्थी का समूह किसी परीक्षा में सामिल होता है तो वह परीक्षा में सामिल होता है सफलता प्राप्त करने के लिए,लेकिन समूह के सभी विद्यार्थी परीक्षा में सफल हो पाता।इतना ही नहीं ऐसा भी देखा जाता है कि कभी कभी कमजोर विद्यार्थी सफल हो जाता है और तेज विद्यार्थी असफल हो जाता है।
अब सवाल उठता है कि विद्यार्थी ने सकारात्मक दृष्टि से कर्म किया फिर भी उसे नकारात्मक परिणाम क्यों मिला?
इस पर हम संक्षिप्त में इतना जरूर कहेंगे कि ज्योतिष हमारे कर्मो का ढांचा बताता है,यह हमारे भूत,वर्तमान और भविष्य में कड़ी बनाता है,जिसमें हमे कर्मो के प्रकार को जानना अति आवश्यक है संचित कर्म,प्रारब्ध कर्म, क्रियमान और आगमन कर्म जिसे दो धाराओं में बहते हुए देखा जा रहा है जो शुभ और अशुभ कर्म है।
कोई भी ज्योतिषी भगवान नही होता फिर भी हम यह कह सकते है कि योग्य ज्योतिषी भविष्य का अधिक से अधिक सही पूर्व कथन कर सकते है। वैसे आज कल बड़े बड़े टीवी चैनल से लेकर अखबारों और सोसल मीडिया पर अधिकतर भ्रमकता फैलाने वाले ज्योतिषीयों की कमी नहीं है।जिसे लोग समझ नहीं पा रहे है।किसी को बड़े बैनर पर आ जाने मात्र से आप उसके गुण का आकलन नहीं कर सकते।
हम में से अधिकतर लोगों के मन भटकते रहते है सही भविष्य जानने की जिज्ञासा हेतु योग्य ज्योतिषी को ही परख नहीं पाते और अपने भविष्य को जाने समझने या समस्याओं का समाधान हेतु अयोग्य के मकर जाल में फस जाते है।जहां हमे सही मार्ग नहीं मिल पाता।
यह कोई जरूरी नहीं कि हम जो कर्म करेंगे उसी का फल हमे मिलेगा।कई बार हमे पूर्वजों द्वारा किए गए कर्म,परिवार, समाज या राजा के द्वारा किए गए कर्मो को भी हमे भोगना पर सकता है।
अतः भविष्य को समझने के लिए तथा सही दिशा जानने हेतू बहुत ही सावधानी से किसी भी योग्य ज्योतिषी का चुनाव करे।
न तो बार बार ज्योतिषी का बदलाव करे और न ही सभी से अपना हाथ या जन्म कुंडली दिखाए।
आप सभी का कल्याण हो।