बिहार - पितृऋण चुकाने के लिए श्राद्ध अवश्य करना चाहिए । किंतु धर्मशिक्षा न मिलने के कारण आज लोग धर्माचरण नहीं करते । अपने व्रत, त्यौहारों, धार्मिक विधियों की शास्त्रीय जानकारी सभी को हो, इस उद्देश्य से सनातन संस्था विविध उपक्रमों के माध्यम से जनजागरण हेतु कार्यरत है । इसी उद्देश्य से पितृपक्ष के उपलक्ष्य में 2 सितंबर से 17 सितंबर की कालावधि में सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा उत्तरप्रदेश एवं बिहार राज्यों में विविध उपक्रम चलाए गए । साथ ही शिक्षक दिवस के अवसर पर आयोजित किए गए ‘विशेष ऑनलाइन- शिक्षक सत्संग’ में शिक्षकों को पितृपक्ष संबंधी शास्त्र बताए गए । उत्तर प्रदेश, बिहार और ओडिशा के उद्योगपतियों के लिए ऑनलाइन सत्संग में भी उपस्थित जिज्ञासुओं के लिए पितृपक्ष संबंधी जानकारी दी गई ।
इन उपक्रमों में पितृपक्ष में श्राद्ध करने का महत्व तथा उसके लाभ, पितृदोष निवारण हेतु भगवान दत्तात्रेय का नामजप क्यों करना चाहिए, पितरों के लिए तिलतर्पण का महत्व तथा इसे करने की विधि, कोरोना महामारी के कारण यातायात बंदी के समय महालय श्राद्ध कैसे करें, आदि विषय बताए गए । साथ ही श्राद्ध पक्ष के संदर्भ में फैलाई गई भ्रांतियों के विषय में भी श्रद्धालुओं की शंकाओं का समाधान किया गया । इन कार्यक्रमों का लाभ सैकडों जिज्ञासुओं ने लिया । उपस्थित जिज्ञासुओं ने इन ऑनलाइन कार्यक्रमों के माध्यम से श्राद्ध से संबंधित मिली जानकारी को अद्भुत बताया और अनेकों ने शास्त्र के अनुसार बताई गई श्राद्ध विधियां कर पितरों के प्रति अपना आभार व्यक्त किया ।
इस कालावधि में उत्तरप्रदेश के वाराणसी, गाजीपुर, अयोध्याजी, बिहार के सोनपुर और पटना जिले में 6 ऑनलाइन प्रवचन आयोजित किए गए । साथ ही उत्तरप्रदेश तथा बिहार के विविध जिलों के 9 वर्ष से 13 वर्ष की आयुवर्ग के बच्चों के लिए पितृपक्ष से संबंधित धर्मशास्त्र पर आधारित 2 ऑनलाइन बालसत्संग का आयोजन किया गया । उत्तर एवं पूर्वोत्तर भारत के राज्य, बिहार, झारखंड, असम, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल से शिक्षक इस पितृपक्ष संबंधी विशेष कार्यक्रम में सम्मिलित हुए । हिन्दू जनजागृति समिति के माध्यम से उत्तरप्रदेश तथा बिहार के साप्ताहिक धर्मशिक्षा वर्ग में भी इस विषय के संदर्भ में धर्मनिष्ठों का ज्ञानवर्द्धन किया गया ।