संवाद
मिथिला हिन्दी न्यूज :-भारत में चल रहे निर्वासित सरकार के साठवे स्थापना दिवस पर स्थानीय लोहिया आश्रम सीतामढ़ी में भारत तिबबत मैत्री संघ द्वारा एक संगोष्ठी का आयोजन संघ के सचिव रीतेश कुमार गुड्डू की अध्यक्षता में हुई।संगोष्ठी का विषय था "" तिब्बत की आजादी में भारत की भूमिका ""। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए जनता दल यू के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष श्री नागेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा कि पिछले साठ वर्षों से धर्मशाला में चल रहे निर्वासित तिब्बती सरकार को भारत सरकार द्वारा मान्यता नहीं देना दुर्भाग्यपूर्ण है।उन्होंने कहा कि परम पवन दलाई लामा के नेतृत्व में शांतिपूर्ण तरीके से रह रहे लोगों की आजादी के लिए भारत सरकार को उचित कदम उठाना समय की मांग है। श्री सिंह ने चीन के नाजायज कब्जे में रह रहे तिब्बती के मानाधिकारों की रक्षा के लिए विश्व समुदाय से आवाज उठाने की अपील की। जिला वार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ईश्वर चन्द्र मिश्र ने कहा कि तिब्बत की आजादी के बिना भारत सुरक्षित नहीं रह सकता है।तिब्बत के लोग भारत देश को अपना गुरु देश मानते हैं।इसलिए भारत सरकार सैन्य कार्रवाई कर तिब्बत को आजाद कराए।आज के दिन में तिब्बत की आजादी में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है। डाॅ ब्रजेश कुमार शर्मा ने भारत और तिबबत के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सदियों से भारत का परोसी देश तिब्बत रहा है परन्तु चीन ने अपने विस्तारवादी नीति और सांस्कृतिक क्रांति के नाम पर जबरन तिब्बत पर कब्जा कर भारत से अपनी सीमा मिला लिया है। अध्यक्षता करते हुए रीतेश कुमार गुड्डू ने कहा कि हिमालय की रक्षा और भारत की सुरक्षा के लिए चीन को सबक सिखाने की जरूरत है।इस अवसर पर रीतेश कुमार गुड्डू ने प्रस्ताव लाया कि भारत सरकार निर्वासित तिब्बती सरकार को मान्यता प्रदान करे, तिब्बत के सर्वोच्च धार्मिक नेता परम पवन दलाई लामा को भारत रत्न प्रदान करे एवं उन्हें भारतीय संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया जाय। जिसका सभी उपस्थित लोगों ने समर्थन किया।सामाजिक दूरी का पालन करते हुए इस संगोष्ठी को सर्वश्री रघुनाथ प्रसाद, डॉ रमाशंकर प्रसाद, डॉ अबिदुर रहमान मुन्ने, रमेश कुमार,राजीव कुमार सिंह, मनोज कुमार, डॉ शशि रंजन,विजय कुमार वर्मा, सुभाष कुमार डे, विकास कुमार सिंह ने भी संबोधित किया।