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आज है शरद पूर्णिमा (कोजागरा) ,यहां जानिए व्रत नियम,पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और इससे जुड़ी पूरी जानकारी

30/10/2020,शरद पूर्णिमा विशेषांक - पंकज झा शास्त्री 9576281913

शरद पूर्णिमा में माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है. उनके आठ रूप हैं, जिनमें धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, राज लक्ष्मी, वैभव लक्ष्मी, ऐश्वर्य लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, कमला लक्ष्मी एवं विजय लक्ष्मी है. सच्चे मन से मां की अराधना करने वाले भक्तों की सारी मुरादें पूरी होती हैं.

स्नान व दान की पूर्णिमा शनिवार 31अक्टूबर को मनाई जाएगी.
शरद पूर्णिमा तिथि
शरद पूर्णिमा तिथि प्रारंभ : 30 अक्टूबर को दि 04:35 के उपरांत
शरद पूर्णिमा तिथि समाप्त: 31 अक्टूबर को रात 07बजकर 42 मिनट तक

सफेद मिष्ठान और केसर की खीर या मखाने का खीर का है खास महत्व
शरद पूर्णिमा के दिन सुबह को उठकर घर की साफ-सफाई और स्नान करने के बाद मां लक्ष्मी की पूजा करें और उन्हें सफेद मिष्ठान या फिर केसर की खीर का भोग लगाएं. इसके बाद संध्या के समय मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु का पूजन एक साथ करें. इससे मां लक्ष्मी के साथ श्री हरी की कृपा भी होगी, आपके घर में संपन्नता आने की संभावना बढ़ेगी।

सनातन धर्म में है इस पूजा का विशेष महत्व
सनातन धर्म में पूजा में पान के प्रयोग को बहुत महत्व दिया जाता है क्योंकि पान के पत्ते को बहुत पवित्र और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. इसलिए शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करें और उनको पान अर्पित करें. बाद में वह पान घर के सदस्यों में प्रसाद स्परुप बांट दें. इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.

भगवान श्री सत्यनारायण व्रत का पूजन और दान, हवन आदि भी 31 अक्टूबर को किया जाएगा. पूर्णिमा की तिथि को दान, स्नान आदि को विशेष फलदायी बताया गया है।

शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें. उसके बाद मां की विधिवत् पूजा करके लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें. इस स्तोत्र का पाठ शरद पूर्णिमा के दिन करने से मां लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होती हैं. जिससे आपका घर धन-धान्य से परिपूर्ण हो सकता है।

शरद पूर्णिमा को आश्विन भी कहा जाता हैं तथा इसे रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार शरद पूर्णिमा की तिथि पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक रहते है. इस रात चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुण की मात्रा सबसे अधिक होती है, जो मनुष्य को सभी प्रकार की रोगों से छुटकारा पाने में मदद होती है. चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुण होने के कारण शरद पूर्णिमा की रात को खीर बनाकर उसे खुले आसमान के नीचे रखा जाता है. रात भर खीर में चंद्रमा की किरणें पड़ने के कारण खीर में चंद्रमा की औषधीय गुण आ जाती हैं. फिर अगले दिन खीर खाने से सेहत पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

शरद पूर्णिमा पर है खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त
कल शरद पूर्णिमा है, इस दिन खरीदारी करने का विशेष महत्व होता है. 30 अक्तूबर दिन शुक्रवार को प्रॉपर्टी खरीदी के लिए विशेष शुभ मुहूर्त बन रहा है. शरद पूर्णिमा पर सर्वार्थसिद्धि योग होने से इलेक्ट्रॉनिक सामान, ज्वेलरी, फर्नीचर, वाहन और सुख-सुविधा देने वाले अन्य सामानों की खरीदारी की जा सकती है. इस दिन रवियोग और अमृतसिद्धि योग दोपहर 3 बजे तक रहेंगे. इसलिए इससे पहले खरीदारी करना ज्यादा शुभ है. हालांकि, सर्वार्थसिद्धि योग पूरे दिन और रात तक रहेगा.

पांच शुभ योगों में उदय होगा चंद्रमा
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का उदय पांच शुभ योगों में होगा. जिनके प्रभाव से अच्छी सेहत और धन लाभ होगा. पूर्णिमा पर तिथि, वार और नक्षत्र से मिलकर सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है. इस योग में किए गए सभी काम सिद्ध होने के प्रवलता अधिक होते हैं और मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. साथ ही लक्ष्मी, शंख, महाभाग्य और शश नाम के 4 राजयोग योग बनने से ये दिन और भी खास रहेगा. इस पर्व पर बृहस्पति और शनि का अपनी-अपनी राशियों में होना भी शुभ संयोग है.

शरद पूर्णिमा की रात्रि में चंद देव अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होकर अमृत वर्षा करते हैं. इस दिन चंद्र देव अमृत वर्षा के रूप में अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर रोशनी से करते हैं. इसलिए चंद्रमा की रोशनी में इस दिन खीर रखी जाती है और उसे सुबह प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है.

शरद पूर्णिमा तिथि की सुबह स्नान के बाद पूजास्थल पर माता लक्ष्मी और श्रीहरि विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें. भगवान की प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाएं और भगवान को अक्षत और रोली से तिलक लगाए. तिलक के बाद सफेद या पीले रंग की मिठाई व चावल की खीर से भगवान को भोग लगाएं. शाम को चंद्रमा निकलने पर चंद्रमा की पूजा करें. और भोग वाली खीर को छलनी से ढककर चंद्रमा की रोशनी में रख दें. फिर अगली सुबह स्नान कर उस खीर को मां लक्ष्मी को अर्पित करें और प्रसाद के रुप में घर-परिवार के सदस्यों में बांट लें. इस खीर के सेवन से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
इस दिन मां लक्ष्मी करती है पृथ्वी पर भ्रमण
शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं, इसलिए शरद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी पूजन करने से सभी प्रकार के कर्जों से मुक्ति मिलती है।

ये काम करने पर मां लक्ष्मी होती है प्रसन्न
शरद पूर्णिमा की सुबह-शाम स्नान कर तुलसी को भोग और तुलसी के सामने दीपक अवश्य जलाएं. ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
इस दिन जरूर करें ये काम
शरद पूर्णिमा की रात में हनुमान जी के सामने चौमुखा दीपक जलाने से धनलाभ होता है.

कोजागरा पूर्णिमा पूजा विधि
नव विवाहित पुरुषों के लिए इस त्योहार का खास महत्व होता है. शरद पूर्णिमा कोजागरा पर्व इस साल 30 अक्टूबर 2020 यानी दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा. इस दिन को देवी लक्ष्मी के जन्मोत्सव के रूप में मानाया जाता है. इस दिन वरगद की पूजा या अपने प्रमपरा अनुसार के बाद सगे-संबंधियों और परिचितों के बीच मखाना, पान, बताशे, लड्डू का वितरण किया जाता है. इस अवसर पर वर एक खास तरह की टोपी पहनते हैं जिसे पाग कहते हैं. मिथिला में पाग सम्मान का प्रतीक माना जाता है. घर के बड़े बुजुर्ग इस दिन वर को दही लगाकर दुर्घायु और सुखद वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद देते हैं. लोग मखाना,पैसे और बताशे लुटाकर उत्सव का आनंद मनाते हैं. इसे विवाह के बाद दूसरा सबसे बड़ा उत्सव माना गया है.
ब्लू मून सी की रहेगी दिव्य चमक
धार्मिक मान्यता है कि एक माह में जब दो पूर्णिमा का योग बनता है तो उसे ब्लू मून कहते हैं. चन्द्रमा की किरणें अधिक चमकीली होती हैं।

चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने का क्या है मान्यता- 

एक अध्ययन के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन औषधियों की स्पंदन क्षमता अधिक होती है। रसाकर्षण के कारण जब अंदर का पदार्थ सांद्र होने लगता है, तब रिक्तिकाओं से विशेष प्रकार की ध्वनि उत्पन्न होती है।अध्ययन के अनुसार दुग्ध में लैक्टिक अम्ल और अमृत तत्व होता है। यह तत्व किरणों से अधिक मात्रा में शक्ति का शोषण करता है।चावल में स्टार्च होने के कारण यह प्रक्रिया और आसान हो जाती है।इसी कारण ऋषि-मुनियों ने शरद पूर्णिमा की रात्रि में खीर खुले आसमान में रखने का विधान किया है।

शरद पूर्णिमा को सभी व्रतों में उत्तम माना जाता है। इस दिन सबसे पहले व्रतियों को अपने इष्ट देवता की पूजा करनी चाहिए। इस दौरान लोगों को तामसिक भोजन के सेवन से परहेज करना चाहिए।साथ ही, इस दिन विष्णु सहस्त्र नाम का जाप, कनकधारा स्तोत्र, भगवान कृष्ण का मधुराष्टकं और श्रीसू्क्त का पाठ करने से भी लाभ मिलने की मान्यता है।

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