पंकज झा शास्त्री
मिथिला क्षेत्रीय पंचांग अनुसार धनतेरस 12 नवंबर गुरुवार को मयाया जाएगा जबकि अन्य पंचांग अनुसार13 को धनतेरस मानने की तैयारी में है लोग।
त्रयोदशी के उदया तिथि और प्रदोष काल में होने की वजह से 499 साल बाद ऐसा योग बन रहा है। इससे पहले ऐसा योग सन 1521 में बना था। इस बार 12 और 13 नवंबर को धनतेरस मनाने की तैयारी में है जिसमें कुछ लोग 12 और कुछ लोग 13 को धनतेरस के लिए बेहतर समझ रहे है। त्रयोदशी 12 नवंबर की संध्या 06:44 बजे शुरू होगी जो 13 नवंबर की शाम 04:43 बजे तक रहेगी। मिथिला क्षेत्रीय पंचांग अनुसार धनतेरस 12 को है जबकि अन्य पंचांग अनुसार 13को भी धनतेरस का मुहूर्त रहेगा।
धनतेरस पर लोग नया समान खरीदकर घर लाते है।खरीदारी का शुभ मुहूर्त 12नवंबर गुरुवार को संध्या 06:44बजे से लेकर रात 9:43बजे तक रहेगा।
इस बार भगवान धनवंतरी के पूजन के पर्व धनतेरस 12 व 13 नवंबर को दो दिन मनाया जाएगा। पर्व को दो दिन मनाए जाने के पीछे विद्वानों के अलग-अलग मत्त है। हालांकि अधिकांश विद्वान 13 नवंबर को धनतेरस मनाना शास्त्र सम्मत बता रहे हैं। जबकि 12 को प्रदोषकाल में त्रयोदशी रहने से इस दिन ही धनतेरस मनाई जानी चाहिए।13 नवंबर को शाम 04:43बजे तक त्रयोदशी रहेगी ।
धनतेरस का महत्व : कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को देव वैद्य भगवान धनवंतरी का अवतरण हुआ था। उनके चार हाथ है। इनमें अमृत कलश, औषधि, शंख-चक्र आदि है। इस दिन आरोग्यता की कामना से भगवान धनवंतरी का पूजन किया जाता है। इन्हें भगवान विष्णु का अवतार भी माना जाता है। धनतेरस दो शब्दों से मिलकर बना है। कहा जाता है इस दिन धन को तेरह गुणा करने के लिए लक्षमी, कुबेर और अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति के लिए यम को दीपदान करना चाहिए। दीपावली के पहले इस दिन खरीदारी करना शुभ माना गया है। इसमें सोने-चांदी के साथ बर्तन की खरीदारी का विशेष महत्व है।
पंकज झा शास्त्री 9576281913