मोरवा/संवाददाता।
सरकार द्वारा निर्धारित ईंट की कीमतों एवं ईट भट्ठा मालिकों के द्वारा निर्धारित कीमतों में जमीन आसमान का अंतर होने के कारण मनरेगा योजना के तहत निर्माण कार्य में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। मोरवा प्रखंड के मनरेगा पदाधिकारी राजेश कुमार के अनुसार सरकार द्वारा निर्धारित ईंट की कीमत छः हजार रुपए प्रति हजार निर्धारित है। जबकि खुले बाजार में चिमनी संचालकों एवं ईंट भट्ठा मालिकों के द्वारा चौदह हजार से पन्द्रह हजार रुपए प्रति हजार की कीमत से ईट बेचे जा रहे हैं। मनरेगा योजना के तहत सड़क निर्माण में ईट भट्ठा मालिकों और चिमनी संचालकों से खरीद किए जाने पर ढाई गुना से अधिक कीमत में ईट खरीदनी पड़ रही है। जबकि सरकार द्वारा निर्धारित कीमतों पर भुगतान किए जाने से मनरेगा योजना के तहत सरकार निर्माण कार्य होना असंभव प्रतीत हो रहा है। फल स्वरूप मनरेगा योजना के तहत सड़क निर्माण एवं विकास कार्य पर पूरी तरह ग्रहण लग गया है। जहां कहीं निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं वहां सरकार द्वारा निर्धारित हीट की कीमत और चिमनी बालकों द्वारा वसूले जा रहे किंतु में जमीन आसमान का अंतर आने से संवेद को के लिए निर्माण कार्य करना बड़ा कठिन हो गया है। मनरेगा अधिकारी एवं प्रखंड प्रमुख श्मिता शर्मा समाजसेवी अवधेश कुमार शर्मा आदि के अनुसार जब तक चिमनी मालिकों द्वारा ईंट की कीमतों की मनमानी वसूली वाली कीमतों पर अंकुश नहीं लगाया जाएगा तब तक मनरेगा योजना के द्वारा समुचित विकास संभव नहीं हो पाएगा।