पंकज झा शास्त्री
मिथिला हिन्दी न्यूज :-इसवार 4 नवंबर2020,बुध वार को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाएगा।करवाचौथ को करक चतुर्थी,श्री कृष्ण पिंगाक्ष व्रत भी कहा जाता है। करवा चौथ हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और रात में चंद्रोदय के बाद अपना व्रत खोलती है।
पूजा मुहूर्त- संध्या 05:33 से 06:39तक, करवा चौथ चंद्रोदय समय -रात्रि 08 बजकर 11मिनट पर होगा
करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से पहले सुबह 4 बजे के बाद शुरु हो जाता है. इस दिन सरगी का खास महत्व होता है. सुहागिन महिलाएं सास से मिली सरगी खाकर व्रत की शुरूआत करती हैं. इस दिन महिलाएं रात में चांद निकलने तक निर्जला व्रत रखती हैं. साथ ही इस दिन पूजा के लिए शाम के समय एक मिट्टी की वेदी पर देवी-देवताओं की स्थापना की जाती है. चांद निकलने से पहले थाली में धूप, दीप, चंदन, रोली, सिंदूर, घी का दिया रखकर पूजा की जाती है. महिलाएं करवा चौथ की व्रत कथा सुनती हैं. इसके बाद चांद निकलने पर महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं, पूजा करती हैं और पति के हाथ से पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं.यदि पति नजदीक में न हो तो उनके तस्वीर को देखकर व्रत खोलती है। और यदि पति साथ है तो और भी अतीउत्तम है कारण महिलाएं पति को चांद और चलनी के बीच रखकर उनका चेहरा दीपक से देखती है और अपने मन में वसाकर जीवन भर पति को साथ रहने और उनकी लंबी आयु हेतु ईश्वर से प्रार्थना करती है।
मिथिलांचल में वैसे यह व्रत बहुत कम महिलाएं ही करती है परन्तु यह धीरे धीरे इस व्रत का प्रचलन बढ़ता जा रहा है। इस दिन सुहागिन महिलाएं 16सिंगार अति महत्वपूर्ण होता है।