मिथिला हिन्दी न्यूज :-बिहार विधानसभा चुनाव2020 का रिजल्ट नजदीक आ गई है ऐसे में बिहार की नेताओं का धरकन तेज हो गई है। सभी पार्टी अपने अपने तरीके से वोटरों को आकर्षित करने में लगी है।
अब सवाल उठता है कि बिहार की सत्ता किस तरह होगी।
इसी विषय को ध्यान में रखकर हमने बिहार चुनाव 2020 का ज्योतिषीय आकलन करने का प्रयत्न किया है। कोरॉना महामारी और बाढ़ से आई तबाही से जूझ रही बिहार की जनता के समाने एक बार फिर से बिहार की किस्मत का फैसला करने का जिम्मा है क्योंकि विधानसभा चुनाव सामने है। ज्योतिषशास्त्री सचिन मल्होत्रा बताते हैं कि, इस बार का विधानसभा चुनाव बेहद दिलचस्प हो सकता है, इस बात का संकेत प्रमुख क्षेत्रीय दलों जनता दल यूनाइटेड और राष्ट्रीय जनता दल की कुंडली दे रही हैं।
जनता दल यूनाइटेड की कुंडली में शुभ योग
जनता दल यूनाइटेड की स्थापना 30 अक्टूबर 2003 को हुई थी जब मकर लग्न उदय हो रहा था और चन्द्रमा धनु राशि में स्थित थे। अपनी मजबूत ग्रह स्थिति तथा योगकारक शुक्र की महादशा के चलते यह पार्टी वर्ष 2005 में राज्य में सत्ता में आयी और अभी तक वहां काबिज़ है। इस पार्टी की कुंडली में सूर्य में बुध की विंशोत्तरी दशा चल रही है जो कि राजसत्ता स्थान यानी कुंडली के दशम भाव में स्थित होकर पार्टी को पुनः सत्ता में वापसी करवा सकती है।
राष्ट्रीय जनता दल की कुंडली क्या कहती है
विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल की कुंडली 5 जुलाई 1997 की है जिसमें कन्या लग्न है। यहां चन्द्रमा मिथुन राशि में हैं। वर्तमान इस कुंडली में शनि में मंगल की कठिन विंशोत्तरी दशा चल रही है। शनि-मंगल राजद की कुंडली में अशुभ समसप्तक योग बना रहे हैं जो कठिन संघर्ष को दर्शा रहे हैं। इसके बावजूद पार्टी बेहद आक्रामक तरीके से चुनाव लड़ेगी सत्ताधारी दल को कड़ी टक्कर देने के बावजूद तेजस्वी यादव पार्टी को सत्ता में काबिज करने से चूक सकते हैं।
साढेसती में चल रहे तेजस्वी बनेंगे बड़े नेता
लालू यादव और राबड़ी देवी के छोटे बेटे तेजस्वी यादव का जन्म 9 नवंबर 1989 को दोपहर पटना में मकर लग्न में हुआ था। इनकी कुंडली में चन्द्रमा कुंभ राशि में केमद्रुम योग में हैं। तेजस्वी की कुंडली में द्वादश यानि हानि भाव में लग्नेश शनि और शुक्र एक बड़ा राजयोग बना रहे हैं। शुक्र और शनि पर संघर्ष स्थान यानी छठे भाव से गुरु की दृष्टि पड़ रही है जिसके प्रभाव से पिछले चुनाव में बड़ी जीत के बाद उपमुख्यमंत्री का पद प्राप्त कर लेने पर भी उनकी पार्टी 17 महीने तक ही सरकार में रह सकी।
उस समय बुध में बुध की विंशोत्तरी दशा में चल रहे तेजस्वी यादव को उनके गठबंधन के सहयोगी मुख्यमंत्री नितीश कुमार बीच मझधार में छोड़ बीजेपी के साथ हो लिए थे। तेजस्वी की कुंडली में बुध दशम भाव में नीच के सूर्य और पाप ग्रह मंगल के साथ पीड़ित हैं। इनकी कुंडली में पिता स्थान यानी नवम भाव पर हानि स्थान यानी बाहरवें घर से शनि की दसवीं दृष्टि पड़ रही है जिसने इनके पिता को उनसे दूर कारावास में पहुंचा दिया है।
लेकिन वर्तमान में तेजस्वी यादव बुध में शुक्र की शुभ विंशोत्तरी दशा में चल रहे हैं। शुक्र उनकी जन्म कुंडली में हानि भाव में होकर भी एक राजयोग बना रहा हैं। इस योग के प्रभाव से भले ही वह मुख्यमंत्री न बन सकें लेकिन उनके नेतृत्व में पार्टी बेहद अच्छा प्रदर्शन करेगी। अगले डेढ़ वर्ष में मकर राशि में चल रही शनि की ‘साढ़ेसती’ इन्हें बिहार विधानसभा में विपक्ष का एक बड़ा नेता बनाकर ख्याति दिलाएगी। बुध में शुक्र की विंशोत्तरी दशा में तेजस्वी यादव अगले एक साल में अपनी गृहस्थी की शुरुआत कर सकते हैं।
राहु की कृपा से एक बार फिर से नितीश कुमार
मिथुन लग्न में 1 मार्च 1951 को बिहार के बख्तियारपुर में पैदा हुए नितीश कुमार की कुंडली में राहु भाग्य भाव में गुरु, बुध और सूर्य के साथ एक शानदार राजयोग का निर्माण कर रहा है। राहु का राजयोग में सम्मलित होना उन्हें गठबंधन की राजनीति का एक माहिर खिलाड़ी बनाता है। यही वजह है कि यह अपने विरोधियों को कभी भी अपने राजनैतिक चातुर्य से चौंकने पर विवश कर देते हैं। राहु में गुरु की दशा में 2015 में नितीश कुमार अपने धुर विरोधी लालू यादव और कांग्रेस के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव जीते लेकिन साल 2017 के मध्य में वह जब राहु में शनि की दशा में थे तो अपने पुराने साथी बीजेपी के पास वापस चले गए।
शनि इनकी कुंडली में सिंहासन स्थान यानी चतुर्थ भाव में होकर दशम में बैठे मंगल और शुक्र से दृष्टि संबंध बनाकर एक बड़ा राजयोग बना रहा है। सत्ता स्थान यानी दशम भाव में बैठे उच्च राशि के शुक्र के बल पर उनको हर विधानसभा चुनाव में महिला वोटरों का भरपूर साथ मिला है। वर्तमान में राहु में बुध की शुभ विंशोत्तरी दशा में चल रहे नितीश कुमार एक बार फिर से जीत हासिल कर मुख्यमंत्री बन सकते हैं, इस बात की संभावना बहुत अधिक है। बुध इनकी जन्म कुंडली में भाग्य भाव तथा नवांश में सत्ता स्थान यानी दशम भाव में विराजमान हैं। लेकिन लग्न से अष्टम भाव में गोचर कर रहे शनि अबकी जीत के लिए बेहद कड़ा संघर्ष करवाएंगे
नोट - हमारे पास जो उपरोक्त विवरण उसी अनुसार ग्रहों का अध्यन करके फलादेश का आकलन किया गया है,विवरण में एक पल का भी अंतर होने से फलादेश में भी परिवर्तन हो सकता है अतः किसी भी प्रकार का दावा करना उचित नहीं।