मिथिला हिन्दी न्यूज :- बिहार विधान सभा चुनाव में वाम दलों का उदय होने का मतलब है क्या कन्हैया कुमार के कारण हुआ है ये बड़ा सवाल है पर आखिर कैसे महागठबंधन के तरफ से वाम दलों को 19 सीटें दिया गया और उस 29 में से 15 सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रहे । वहीं 8 सीटों पर भाजपा–जदयू के एनडीए प्रत्याशियों को सीधी कड़ी टक्कर देकर दूसरा स्थान (भाकपा माले– 5, सीपीआई– 3 व सीपीआईएम – 1) हासिल किया है।वामदलों का प्रदर्शन सभी के लिए चौंकाने वाला है। इस बार वाम दल ने महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ा, जिसका नतीजा बेहतर दिखाई दिया। इस चुनाव में महागठबंधन की ओर से चुनाव लड़ रहे वामदलों को 30 सीटें दी गई थीं।कन्हैया ने अपने चुनावी भाषणों का रुख कुछ अलग रखा। सधी हुई भाषा में बोलते नजर आए। उन्होंने अभद्र भाषा की जगह चुनावी मुद्दों पर बात की। इसका असर शायद परिणामों पर देखने को मिला।कन्हैया कुमार ने चुनाव तो नहीं लड़ा, लेकिन वाम दल के लिए स्टार प्रचारकों में जरूर शामिल रहे। कन्हैया वैसे तो अपनी तीखे प्रहार करने वाली भाषा के लिए जाने जाते हैं। इस बार चुनावी रैलियों और भाषणों में उनसे उम्मीद यही की जा रही थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।