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ज्योतिष का महत्त्व और इसकी आवश्यकता जानें ज्योतिष पंकज झा शास्त्री जी के अनुसार

पंकज झा शास्त्री 

 ज्योतिष मानव जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है । दैनिक जीवन में इसका उपयोग संभावित अनिष्ट के निवारण और उज्जवल भविष्य के निर्माण के लिए किया जा सकता है । ज्योतिष अंधविश्वास नहीं बल्कि जीवन को सही दिशा में चलाने के लिए और सही समय पर सही कार्य करने के लिए एक मार्गदर्शक हो सकता है । ज्योतिष मनुष्य को भाग्यवादी नहीं बल्कि कर्मवादी बनाता है । ज्योतिष को हम सड़क के चौराहे पर लगी लाल और हरी बत्ती जैसा संकेतक या समुद्र में जहाजों को सही दिशा बताने के लिए लगा प्रकाश स्तंभ मान सकते हैं । मनुष्य के लिए दैनिक जीवन में विविध कार्यों के लिए ज्योतिष की समय-समय पर आवश्यकता पड़ती है । कुछ कट्टरपंथी लोग ज्योतिष को अंधविश्वास और भाग्यवादी बताते हैं लेकिन वास्तव में उनको भी उपरोक्त विवरण के अनुसार समय-समय पर ज्योतिषीय विषयों को जानने की आवश्यकता महसूस होती है । यह अलग बात है कि वे खुलकर किसी ज्योतिषी या पंडित के पास नहीं जाते लेकिन फिर भी संकट काल में अथवा किसी विकट समस्या के आने पर ज्योतिषीय सलाह की आवश्यकता महसूस करते हैं । यह बात अलग है कि तथाकथित स्वार्थी ज्योतिषी अपनी वेबसाइट, यूट्यूब, समाचार पत्र और अन्य संचार माध्यमों के द्वारा अनिष्ट ग्रहों के नाम पर लोगों को डरा कर विभिन्न उपायों से लोगो को ठगते है। यह कोई जरूरी नहीं कि यदि शनि कमजोर हो तो शनि मंदिर में जाकर तेल ही चढ़ाया जाय । यह ध्यान रहे की सभी को सभी उपाय लाभदायक नहीं होता बेहतर होगा कि सूक्ष्म अध्यन के बाद ही उस अनुसार उपाय बताया जाय। तुक्का मारकर किसी को कुछ भी उपाय बताना उचित नहीं। 
वास्तविकता यह है कि सभी समस्याओं का समाधान किसी ज्योतिषीय उपाय से नहीं होता । कुछ कर्मों के फल को भोगने के लिए हमें अपने आपको मानसिक रूप से तैयार रखना चाहिए और ईश्वरीय विधान को मानते हुए उन्हें स्वीकार कर लेना चाहिए। इसके अलावा किसी असफलता का अर्थ यह निकालना चाहिए कि हमने सफलता के लिए आवश्यक पुरुषार्थ नहीं किया । अतः हमें गए सिरे से नए उत्साह और ऊर्जा के साथ कार्य करना चाहिए । वर्तमान जीवन में किए गए कार्य भावी जीवन या अगले जन्म के लिए हमारे लिए लाभदायक हो सकते हैं। यह नियम, इसी प्रकार है जैसे हम पूर्वजों के संचित धन का उपयोग करते हैं और हमारे द्वारा संचित धन का उपयोग हमारी आने वाली पीढ़ियां करती हैं। यद्यपि संचित धन का सदुपयोग या दुरूपयोग करना हमारे ऊपर या अगली पीढ़ी पर ही निर्भर करता है।
ज्योतिष का अध्ययन, अध्यापन, अनुसंधान और उपयोग चीन, भारत, अरब देशों और पक्षिमी देशों में सभी जगह अपनी-अपनी पद्धतियों से किया जाता है । विभिन्न पद्धतियों का हम कभी अलग से विचार करेंगे ।

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