शिवहर---इंसानी अधिकारों को पहचान देने और वजूद को अस्तित्व में लाने के लिए, अधिकारों के लिए जारी हर लड़ाई को ताकत देने के लिए हर साल 10 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस यानी यूनिवर्सल ह्यूमन राइट्स डे मनाया जाता है, पूरी दुनिया में मानवता के खिलाफ हो रहे जुल्मों सितम को रोकने, उसके खिलाफ संघर्ष को नई परवाज़ देने में इस दिवस की महत्वपूर्ण भूमिका है।
उक्त बातें राजकीय मध्य विद्यालय कुशहर के प्रधानाध्यापक उदय शंकर कुमार सिंह एवं बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के जिला प्रधान सचिव मोहम्मद शर्फुद्दीन ने जिला वासियों को मानव अधिकार दिवस की बधाई देते हुए कही।
उन्होंने कहा की किसी भी इंसान की जिंदगी, आजादी, बराबरी और सम्मान का अधिकार है,मानव अधिकार भारतीय संविधान इस अधिकार की न सिर्फ गारंटी देता है बल्कि इसे तोड़ने वाले को अदालत सजा देती है, भारत में 28 सितंबर 1993 से मानव अधिकार कानून अमल में आया 12 अक्टूबर 1993 में सरकार ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन किया।
संघ के शिवहर प्रखंड संयोजक पवन कुमार ने कहा की मानव अधिकार आयोग के कार्य क्षेत्र में नागरिक और राजनीतिक के साथ-साथ आर्थिक मानसिक और सांस्कृतिक अधिकार भी आते हैं जैसे बाल मजदूरी एचआईवी/एड्स स्वास्थ्य, भोजन, बाल विवाह, महिला अधिकार, हिरासत और मुठभेड़ में होने वाली मौत, अल्पसंख्यक,अनुसूचित जाति और जनजाति के अधिकार शामिल है।