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परिवार नियोजन कार्यक्रम में फिर पिछले रिकार्ड के करीब सीतामढ़ी


पिछले वर्ष पुरुष नसबंदी में देश में परिवार नियोजन में अव्वल था सीतामढ़ी
- परिवार नियोजन से संबंधित ऑपरेशनों में किया गया कोविड मानकों का पालन 

सीतामढ़ीl 25 दिसंबर

प्रिंस कुमार 

मिथिला हिन्दी न्यूज :-कोरोना संक्रमण काल में भी परिवार नियोजन कार्यक्रम अपनी रफ़्तार कायम रखने में सफ़ल प्रतीत हो रहा है। इस वर्ष लॉकडाउन और कोरोना जैसी संक्रामक बीमारी जैसी परिस्थिति में भी परिवार नियोजन के लिए जागरुकता मुहिम से लेकर परिवार नियोजन के स्थायी उपायों तक का कार्यक्रम जारी है, जो 11 अक्टूबर के बाद और रफ्तार पकड़ चुकी है। परिवार नियोजन कार्यक्रम के जिला नोडल अधिकारी डॉ. सुनील कुमार सिन्हा ने बताया कि उन्होंने अकेले पिछले वर्ष 3129 पुरुष नसबंदी के लिए ऑपरेशन किये थे। वहीं जनवरी से अभी तक कुल 3018 परिवार नियोजन से संबंधित ऑपरेशन (पुरुष नसबंदी और महिला बंध्याकरण) परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत कर चुके हैं। डॉ सिन्हा के मुताबिक जिले में परिवार नियोजन को लेकर समुदाय में जागरूकता आई है। उन्होंने बताया कि देश में पुरुषों द्वारा गर्भनिरोधक साधनों के प्रयोग के आंकड़े जहां उत्साहवद्र्धक नहीं हैं, वहीं पिछले साल सीतामढ़ी जिला पुरूष नसबंदी के मामले में देश भर में अव्वल भी था। निरंतर प्रयासों से जब समुदाय में भ्रम, भ्रांतियां, सामाजिक पाबंदी और अंधविश्वास के अंधेरे छंटने शुरू हुए तो नित प्रतिदिन उत्साहजनक आंकड़े आने लगे हैं। 

परिवार नियोजन में पुरुषों को आना होगा आगे:

डॉ सिन्हा ने कहा कि परिवार नियोजन के लिए पति और पत्नी दोनों की सहमति आवश्यक है, पर जब परिवार नियोजन के साधनों के इस्तेमाल की बात हो तो उसमें पुरुषों को खास कर आगे आना होगा। इसका यह भी कारण है कि महिला नसबंदी की तुलना में पुरुष नसबंदी काफ़ी सरल तो है ही। साथ ही यह सुरक्षित भी है। पुरुष नसबंदी बंध्याकरण की अपेक्षा 20 गुना ज्यादा सुरक्षित है। खुशहाली और स्वास्थ्य के लिए भी परिवार नियोजन बहुत जरूरी है। परिवार नियोजन से गर्भधारण के बीच समय-सीमा की छूट देना है। परिवार नियोजन शुरू करके किसी महिला व बच्चे को संभावित बीमारी से बचाया जा सकता है। साथ ही उन्होंने बताया दो बच्चे होंगे तो उनकी परवरिश बेहतर हो सकेगी।

सुरक्षित व्यवस्था से परिवार नियोजन की गति नहीं हुई धीमी :
परिवार नियोजन के नोडल अधिकारी डॉ. सिन्हा का कहना है कि कोरोना काल में हर पीएचसी पर सुरक्षित व्यवस्था के भरोसे ने लोगों के अंदर से संक्रमण का भय दूर किया गया। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन से पहले वह बंध्याकरण/नसबंदी कराने आए लोगों की कोविड जांच करते हैं। रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही ऑपरेशन शुरू करते हैं। सुरक्षा मानकों की बारीकी से पड़ताल करते हैं। बिना मास्क के किसी को भी आने की इजाजत नहीं दी जाती है। भीड़ ना लगे और सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे, इसके लिए मरीज के साथ एक ही व्यक्ति को रहने की अनुमति होती है। ओटी(OT ) (ऑपरेशन थिएटर) को पूरी तरह सैनिटाइज(sanitized) किया जाता है। ऑपरेशन कर रहे सर्जन से लेकर सहायक तक कोविड सुरक्षा मानकों का पूरा अनुपालन करते हैं। संक्रमण को लेकर सतर्कता के कारण ही कोरोना काल में परिवार नियोजन साधनों के इस्तेमाल करने वाले लोगों के आंकड़े में कमी नहीं आई है। आने वाले समय में इसके आंकड़ों में और बढ़ोतरी ही होगी।

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