नाभि स्पंदन पद्धति के अनुसार यदि नाभि ठीक मध्यमा स्तर के बीच में चलती है तब महिलाएं गर्भधारण योग्य होती हैं। लेकिन यदि यही मध्यमा स्तर से खिसककर नीचे रीढ़ की तरफ चली जाए तो ऐसी महिलाएं गर्भ धारण नहीं कर सकती हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि जिन महिलाओं की नाभि एकदम बीचोबीच में होती है वो बिलकुल स्वस्थ बच्चे को जन्म देती हैं।
1.नाभि के खिसकने से मानसिक एवं आध्यात्मिक क्षमताएं कम हो जाती हैं। यदि गलत जगह पर खिसक जाए व स्थायी हो जाए तो परिणाम अत्यधिक खराब हो सकते हैं। नाभि को यथास्थान लाना एक कठिन कार्य है। थोड़ी-सी गड़बड़ी किसी नई बीमारी को जन्म दे सकती है। नाभि की नाड़ियों का संबंध शरीर के आंतरिक अंगों की सूचना प्रणाली से होता है इसलिए नाभि नाड़ी को यथास्थल बैठाने के लिए इसके योग्य व जानकार चिकित्सकों का ही सहारा लिया जाना चाहिए। नाभि को यथास्थान लाने के लिए रोगी को रात्रि में कुछ खाने को न दें। सुबह खाली पेट उपचार के लिए जाना चाहिए, क्योंकि खाली पेट ही नाभि नाड़ी की स्थिति का पता लग सकता है।
2. नाभि में 1,458 प्रकार के बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जो बाहरी बैक्टीरिया से हमारे शरीर की रक्षा करते हैं। नाभि में कई बार फंगल इंफेक्शन हो जाता है, ऐसे में नाभि को साफ-सुथरा रखना बहुत जरूरी है। लेकिन इसकी इतनी भी सफाई नहीं करना चाहिए कि इसके बैक्टीरिया ही मर जाएं।
3. नाभि पर सरसों का तेल लगाने से होंठ मुलायम होते हैं। नाभि पर घी लगाने से पेट की अग्नि शांत होती है और कई प्रकार के रोगों में यह लाभदायक होता है। इससे आंखों और बालों को लाभ मिलता है। शरीर में कंपन, घुटने और जोड़ों के दर्द में भी इससे लाभ मिलता है। इससे चेहरे पर कांति बढ़ती है।
4.समुद्र शास्त्र में नाभि के आकार-प्रकार के अनुसार स्त्री और पुरुष के व्यक्तित्व के बारे में उल्लेख मिलता है। जिन महिलाओं की नाभि समतल होती है उन्हें जल्द गुस्सा आता है, लेकिन पुरुष की नाभि समतल है तो वह बुद्धिमान और स्पष्टवादी होगा। जिनकी नाभि गहरी होती है वे सौंदर्य प्रेमी, रोमांटिक और मिलनसार होते हैं। इन्हें जीवनसाथी सुंदर मिलता है। जिन महिलाओं की नाभि लंबी और वक्री होती है, वे आत्मविश्वास से भरी हुई और आत्मनिर्भर होती हैं। जिनकी नाभि गोल होती है, वे आशावादी, बुद्धिमान और दयालु होती हैं। ऐसी महिलाओं का वैवाहिक जीवन सुखमय गुजरता है। उथली नाभि वाले लोग कमजोर और नकारात्मक होते हैं। ऐसे लोग अक्सर काम को अधूरा छोड़ देते हैं और वे स्वभाव से चिढ़चिढ़े भी होते हैं।
5.जिन लोगों की नाभि ऊपर की ओर बड़ी और गहरी है, तो ऐसे लोग हंसमुख और मिलनसार स्वभाव के होते हैं। उभरी और बढ़ी हुई नाभि है तो ऐसे लोग जिद्दी होते हैं। अंडाकार नाभि वाले लोग सोचने में अपना समय गंवाकर हाथ आया मौका छोड़ देते हैं। चौड़ी नाभि वाले लोग शक करने वाले और अंतरमुखी होते हैं। जिन लोगों की नाभि ऊपर से नीचे आती हुई 2 भागों में बंटी हुई दिखाई दे तो ऐसे लोग आर्थिक, पारिवारिक और सेहत की दृष्टि से मजबूत होते हैं।
पंकज झा शास्त्री
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