- अपने हर छात्र को देते हैं कोरोना से बचाव की सीख
- जागरू कता में दिव्यांगता को नहीं आने दिया आड़े
मिथिला हिन्दी न्यूज :-शिक्षक ही शिक्षार्थी के सर्वांगीण का मूल आधार है। उसने हमेशा ही अपने ज्ञान से एक संस्कारी समाज का शिल्प तथा मागदर्शन किया है। कुछ इन्हीं शब्दों को हेनरी बाजार निवासी राजकुमार चरितार्थ कर रहे हैं। वह पेशे से शिक्षक हैं। राजकुमार कहते हैं कि इस कोरोना के समय में उन्होंने महसूस किया कि कोरोना से बचाव के तो रास्ते अनेक हैं, पर कोरोना के प्रति जागरूक करना ज्यादा फायदेमंद होगा। वह कहते हैं कि इससे न सिर्फ जागरू क करने वाला ही लाभान्वित होगा बल्कि यह प्रक्रिया निरंतर प्रसारित होती रहेगी। जिससे एक बड़े समूह को फायदा पहुंच सकता है।
शिक्षा के साथ कोरोना पर कर रहे जागरूक
राजकुमार पिछले 10 वर्षों से अध्यापन कर रहे हैं। पर जब कोरोना का प्रसार जिले तक पहुंचा तो उन्होंने इससे बचने के लिए लोगों को जागरू क करना शुरू किया। जागरू कता फैलाने में राजकुमार ने अपनी दिव्यांगता को भी आड़े नहीं आने दिया। वह कहते हैं कि जब से शिक्षण का कार्य आरंभ हुआ है तब से वह छात्रों को स्लेबस के साथ कोरोना से जुड़ी जानकारियां भी साझा करने लगे। इसका असर यह हुआ कि कुछ दिनों में ही छात्र कहने लगे कि उन्होंने उनसे मिली जानकारी अपने आस-पास के लोगों और घर में भी साझा की। जिससे वह सभी कोरोना के प्रति उचित व्यवहार करने लगे। उनके अनुसार इस समय छात्रों के बीच कोरोना की जानकारी के बिना उनकी शिक्षा ही अधूरी रह जाती ।
साफ -सफाई के साथ पेड़ लगाने को भी करते हैं जागरू क -
राजकुमार के घर जो भी छात्र आते हैं उन्हें वह कोविड से बचाव संबंधी जानकारी तो देते ही हैं साथ ही उन्हें स्वच्छता का भी पाठ पढ़ाते हैं। बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग में बिठाना, मास्क के उचित उपयोग के साथ हाथ धाने के महत्व को उन्होंने रोजाना अपने शैक्षणिक कार्य में शामिल कर लिया है। वहीं पृथ्वी को हरा -भरा रखने और जीवन शक्ति को बढ़ाने के उद्येश्य से वह छात्रों को पेड़ लगाने को भी प्रेरित करते हैं।
कोरोना काल में इन उचित व्यवहारों का करें पालन,-
- एल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का प्रयोग करें।
- सार्वजनिक जगहों पर हमेशा फेस कवर या मास्क पहनें।
- अपने हाथ को साबुन व पानी से लगातार धोएं।
- आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें।
- छींकते या खांसते वक्त मुंह को रूमाल से ढकें।