अपराध के खबरें

कुपोषित बच्चों के लिए वरदान साबित हुआ एनआरसी

प्रिंस कुमार 


मिथिला हिन्दी न्यूज :-सदर अस्पताल में संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र कुपोषित बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है। अति-कुपोषित बच्चों की बेहतर देखभाल के लिए पोषण पुनर्वास (एनआरसी) केंद्र का संचालन किया जा रहा है। सदर अस्पताल परिसर स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र द्वारा बच्चों का उपचार एवं पौष्टिक आहार देने के साथ उन्हें अक्षर ज्ञान का भी बोध कराकर स्वास्थ्य एवं शिक्षा की अनूठी मिसाल पेश की जा रही है। वर्तमान में यहां नौ बच्चे भर्ती हैं। महिला बाल विकास विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग की पहल से कुपोषित बच्चों को केन्द्र में भर्ती कराया जा रहा है। जहां नर्सिंग स्टाफ द्वारा बच्चों की नियमित देखभाल की जा रही है। प्रत्येक कुपोषित बच्चों की 14 दिनों तक देखरेख की जाती है।।

बच्चों के साथ माताओं को भी रखने का प्रावधान
पोषण पुनर्वास केंद्र पर कुपोषित बच्चों एवं उनकी माताओं को आवासीय सुविधा प्रदान किया जाता है। जहां उसके पौष्टिक आहार की व्यवस्था है। यहां कुपोषित बच्चों व उनकी माताओं को 21 दिन तक रखने का प्रावधान है। मार्गदर्शिका के अनुसार जब बच्चे के वजन में बढ़ोतरी होना आरंभ होने लगता है तो उसे 21 दिन के पूर्व ही छोड़ दिया जाता है।

दी जाती है मिक्स डाइट की दवा 
डाइट प्लान तैयार की जाती है। अवधि में बच्चों को मिक्स डाइट की दवा दी जाती है। एनआरसी में भर्ती बच्चों को आहार में खिचड़ी, दलिया, सेव, चुकंदर, अंडा दिया जाता है।

20 बेड का है केंद्र
एनआरसी केंद्र में कुल 20 बेड लगे हुए है। इस वार्ड में एक साथ 20 बच्चों को भर्ती कर उनको सही उपचार के साथ पौष्टिक आहार भी निशुल्क उपलब्ध कराया जाता है। यहां भर्ती किए जाने के बाद बच्चे 10 से 30 दिनों में पूरी तरह स्वस्थ होकर अपने घर को वापस जाते हैं।

तीन स्तर पर कुपोषित बच्चों की होती है पहचान
सिविल सर्जन डॉ आरपी सिंह ने बताया पोषण पुनर्वास केंद्र में 0 से लेकर 5 वर्ष तक के कुपोषित बच्चों को ही भर्ती किया जाता है। कुपोषित बच्चों के पहचान के लिए तीन स्तर पर उनकी जांच की जाती है। तीनों जांच के बाद ही बच्चे को कुपोषण की श्रेणी में रखा जाता है। सर्वप्रथम बच्चे का हाइट के अनुसार वजन देखा जाता है। दूसरे स्तर पर एमयूएसी जांच में बच्चे के बाजू का माप 11.5 से कम होना तथा बच्चे का इडिमा से ग्रसित होना शामिल है। तीनों स्तर पर जांच के दौरान बच्चे कुपोषित की श्रेणी में रखकर उसे भर्ती कर एक महीने तक उपचार के साथ पौष्टिक आहार दिया जाता है।

भर्ती बच्चों की मां को दी जाती है प्रोत्साहन राशि
एनआरसी केंद्र में भर्ती बच्चों के माता को प्रतिदिन प्रोत्साहन राशि दी जाती है। भर्ती होने वाले बच्चे शून्य से पांच वर्ष तक के होते हैं। इसके लिए बच्चों की देखभाल के लिए मां को भी साथ रहना पड़ता है। 

आशा एवं सेविका को भी प्रोत्साहन राशि 
आगंनबाड़ी की सेविका व आशा कार्यकर्ताओं द्वारा कुपोषित बच्चों की पहचान की जाती है और बच्चों को बेहतर उपचार के लिए एनआरसी लाती हैं। इसके लिए आशा एवं सेविकाओं को 200 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है ताकि वह गांव गांव में घूमकर कुपोषित बच्चों की पहचान कर उन्हें एनआरसी में भर्ती करवा सकें।

إرسال تعليق

0 تعليقات
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

live