अपराध के खबरें

आखिर कब तक ढूंढा जाएगा दीपक कब मिलेगा इंसाफ बबलू को !

घटना के समय नामित अभियुक्त दे रहा था कानून की परीक्षा

रामजी 

समस्तीपुर पुलिस की कारगुजारी निर्दोष सलाखों के भीतर और साजिशकर्ता खुलेआम बाहर
 जी हां समस्तीपुर जिला के उजियारपुर प्रखंड क्षेत्र के अंगार घाट थाना अंतर्गत चैता निवासी दीपक जो पहले दिल्ली में रहकर कुरियर का कारोबार करता था। बीते 14 दिसंबर 2020 की शाम करीब 3:00 बजे से लापता है । बताया जा रहा है कि दीपक अपने घर से पूसा थाना क्षेत्र के दिघरा गांव के लिए चला था जहां उसके पत्नी की बुआ रहती है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कारोबार से दीपक ने दिल्ली में करोड़ों की संपत्ति अर्जित की है, जिसमें से कुछ संपत्ति फ्लैट के रूप में दीपक की पत्नी के नाम से भी है। जानते चलिए कि पिछले कुछ महीनों से दीपक और उसकी पत्नी के बीच विवाद चल रहा है। दीपक के मोबाइल पर संपर्क नहीं होने के बाद दीपक की मां स्वर्गीय राज किशोर राय की पत्नी राजेश्वरी देवी ने अंगार घाट थाने में चार लोगों को नामित अभियुक्त बनाते हुए आवेदन देकर अपने पुत्र के , अपहरण होने की बात कही है, साथ ही स्थानीय प्रेस को अपना बयान देते वक्त बताया कि दीपक की पत्नी किसी एकनाथ झा नाम के युवक के साथ पति से हुए विवाद के बाद रह रही है, यह संबंध असामाजिक है। जैसा कि लोगों ने बताया इन्हीं कारणों को लेकर दीपक का उसकी पत्नी के बीच बीते कई महीनों से विवाद चल रहा है । इसी विवाद को सुलझाने के लिए दीपक की पत्नी के फूफा जो कि पूसा थाना क्षेत्र के दिघरा गांव में रहते हैं, इसी गांव में दीपक का साढ़ू बबलू भी रहता है। जिससे दीपक का संबंध अच्छा बताया जाता है। एक कॉल रिकॉर्ड के अनुसार दीपक की पत्नी की फुआ दीपक को उसके पत्नी से चल रहे विवाद के समाधान हेतु बबलू की मध्यस्थता से समाप्त करने के लिए बुला रही है । बताया जा रहा है कि इसी आधार पर बबलू की गिरफ्तारी हुई है।                              
 इन तथ्यों को जानने के बाद जिला प्रशासन पर उठ रहे हैं कई सवाल 
घटना के दिन 14 दिसंबर 2020 को तथाकथित अभियुक्त नीलकमल उर्फ बबलू दिन के 1:30 से 4:30 तक कानून की परीक्षा महिला शिल्प कला महाविद्यालय मुजफ्फरपुर में दे रहा था। जाहिर है इसके लिए वह अपने घर दिघरा से कम से कम 11:30 बजे मुजफ्फरपुर के लिए चला होगा। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस जांच में 3:03 बजे तक, दीपक इमली चौक के सीसी टीवी पर दिखा है, लेकिन उससे आगे के किसी भी सीसीटीवी फुटेज में उसे दिघरा आने की पुष्टि नहीं हुई है।सवाल यह खड़ा होता है कि यदि दीपक दिघरा आया भी तो शाम के करीब 3:30 बजे तक पहुंचा होगा। इस समय बबलू कानून की परीक्षा महिला शिल्प कला भवन मुजफ्फरपुर में दे रहा था, जो कि दिघरा से तकरीबन 40-45 कि.मी. दूर है , और वहाँ से आते आते बबलू कम से कम संध्या के 6:00 बजे से पहले दिघरा नहीं पहुंचा होगा। तो आखिर बबलू के दिघरा पहुंचने तक दीपक को किसने छुपा कर रखा?
अपराध के पंजीकृत होने की तिथि 16 दिसंबर 20 है जबकि अंगारघाट थाना , मय दल-बल 15 दिसंबर 20 की रात हीं नामजद एक अभियुक्त शिवसुंदर देवी की गिरफ्तारी के लिए दबिश देती है और सबूत के तौर पर पुलिस वह काल रिकार्डिंग को सुनाती है , जिसमें नामजद अभियुक्त शिवसुंदर देवी और तथाकथित अपहृत दीपक के बीच उन दोनों के अपने अपने मोबाईल नंबरों से बातचीत हुई होती है।
      स्थनीय लोगों द्वारा यह सत्यापित किए जाने के बाद कि तथाकथित अपहृत व्यक्ति दीपक दिघरा आया हीं नहीं तो अंगारघाट थाना की पुलिस वापस लौट जाती है।
     दिनांक 16 12 20 को नीलकमल उर्फ बबलू अपने एक स्थानीय जिला पार्षद के साथ पुलिस जाँच में सहयोग करने अंगारघाट थाना पहुँचता है, जहाँ उसे भी खुद एक नामजद अभियुक्त होने का पता चलता है।
       अंगारघाट थाना से तथाकथित अपहृत दीपक के गांव चैता की दूरी कम से कम 2-3 कि.मी. की है, परंतु चैता गाँव के सैकड़ों ग्रामीणों को पहले से पता होता है कि बबलू थाना पर आने वाला है।ग्रामीण गोलबंद होकर बबलू की गिरफ्तारी का दबाव बनाते हैं , परंतु उस जिला पार्षद के व्यक्तिगत लिखित जिम्मेदारी पर उस दिन बबलू को थाने पर से हीं छोड दिया जाता है।
        तथाकथित अपहरणकर्ता बबलू के भाग जाने, छिप जाने और अग्रिम जमानत की तमाम संभावनाओं के बाद भी बबलू दिनांक 18/12/20 को अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी दलसिंहसराय के बुलावे पर पुनः अंगारघाट थाना पहुंच जाता है, जहाँ से वह महज दो दिन पहले.PR BOND पर छूटा था। उसी दिन बबलू गिरफ्तार हो जाता है।
        दिनांक 19/12/20 को पुलिस अपनी अभिरक्षा में उसे पुनः परीक्षा दिलवाने मुजफ्फरपुर ले जाती है और 20 12 20 को रोसरा उपकार उसे भेज दिया जाता है। बबलू के परिवार वालों ने कुछ सवाल उठाए हैं लेकिन इनका जवाब कौन देगा ? कानून की परीक्षा देने वाले व्यक्ति को क्या इतना भी पता नहीं था कि जिन संज्ञेय धाराओं के अपराध में वह नामित किया गया है, उसमें उसकी गिरफ्तारी निश्चित है। तो पुलिस के समक्ष दो दो बार स्वयं प्रस्तुत होने वाले अभियुक्त को इतनी क्या जल्दी थी कि बिना कोई अनुसंधान किए और मामले की सत्यता को जाने बिना एक निर्दोष को सलाखों के भीतर पहुँचा दे ? क्या दीपक को सकुशल खोजने के लिए पुलिस ने अब तक दिघरा सहित अभियुक्त के किन-किन ठिकानों पर छापेमारी की है? क्या पुलिस को पता है कि दीपक स्वयं छुपा हुआ है? घटना का क्षेत्र दिघरा बताया जा रहा है तो अब तक अंगार घाट थाना दोबारा कभी दिघरा क्यों नहीं आई? इस कांड संख्या के अनुसंधान कर्ता को जब अदालत में अपनी डायरी प्रस्तुत करनी होगी तो वे अपने अनुसंधान की दैनिकी में क्या लिखेंगे? सूत्रों ने यह भी बताया कि पुलिस के अनुसार दीपक के मोबाइल का अंतिम टावर लोकेशन जगतसिंहपुर के आस पास का था। तब अपह्त का तथाकथित अपहरण दिघरा में कैसे हुआ ?
अपहरण के छब्बीस दिन बीतने के बाद भी समस्तीपुर पुलिस तथाकथित अपहृत को जिंदा या मुर्दा क्यों नहीं ढूंढ पाई? एक बड़ी बात परिवार वालों ने बताई दीपक के जिस मोबाइल कॉल रिकॉर्ड के आधार पर बबलू की गिरफ्तारी हुई है , उस मोबाइल को उस आडियो रिकार्डिंग के साथ दीपक ने अपने घर पर हीं किस उद्देश्य से छोड दिया? अपने रिश्तेदारों से हुई बात चीत को दीपक ने किस उद्देश्य से रिकॉर्ड किया? अपने गांव चैता से चलकर समस्तीपुर बाजार को पार करने के क्रम में दसियों एटीएम और पेट्रोल पंपों को छोडते हुए दीपक ने किस उद्देश्य से दादपुर पेट्रोल पंप पर तेल लिया और परंपरा के विपरीत पेटीएम से 2000/- नगद भी लिए? बबलू के परिवार वालों ने दीपक के कहीं छुप जाने की बातों को प्रमुखता से कहा । पूसा थाना अध्यक्ष कामेश्वर शर्मा ने बताया कि नीलकमल उर्फ बबलू को मैं जानता हूं और पूसा थाना में इसका कोई पूर्व से आपराधिक इतिहास नहीं है तथा वह बेहद सीधा , सच्चा, सामाजिक और व्यवहारिक व्यक्ति हैं।
         

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