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सीमा पर नेपाल पुलिस की सख्ती से भड़का आक्रोश, नो मेंस लैंड में हुई नारेबाजी

पप्पू कुमार पूर्वे 


मधुबनी जिला के खुटौना के भारत-नेपाल सीमा पर आवागमन को लेकर शुक्रवार को आम लोग आक्रोशित हो उठे। लोगों के आक्रोश को देखते हुए नेपाल सशस्त्र पुलिस को पीछे हटना पड़ा और लोगों ने सीमा पार आवागमन किया। दरअसल, शुक्रवार की सुबह पटना व दरभंगा से इलाज करा नेपाल स्थित अपने घर लौट रहे लोगों को नेपाल पुलिस ने सीमा में प्रवेश करने से रोक दिया। इसके बाद दोनों ओर के लोग नो मेंस लैंड पर एकत्र होकर इसका तीव्र विरोध करने लगे और नारेबाजी कर अपने आक्रोश को जताना शुरू कर दिया। खुद को मधेसी बताने वाले नेपाली नागरिकों का कहना था कि भारत से उपभोक्ता सामग्री नेपाल के विराटनगर्, लहान व वीरगंज आदि शहरों तक ले जाने और ले आने की इजाजत है, लेकिन नेपाल स्थित अपनी जन्मभूमि पर अंतिम संस्कार के लिए ले जाए जाने वाले शवों को भी नेपाल सरकार प्रवेश करने से रोक रही है।आम लोगों के बगावती सुर देखकर नेपाली अधिकारी थोड़ा नरम पड़े। दोनों तरफ के आम नागरिकों ने कमान अपने हाथों में लेकर बार्डर को क्लियर कराया, तब जाकर मामला शांत हुआ।

चार दिन पहले भी शव को प्रवेश करने से रोका :

बता दें कि चार दिन पहले भी पटना से इलाज के दौरान मृत एक नेपाली नागरिक के शव लदे वाहन को नेपाल में प्रवेश करने से रोक दिया गया था। नेपाली पुलिस के प्रतिरोध के बाद शव को वाहन से उतार चोरी-छिपे नेपाल में प्रवेश कराया गया था। वहीं, नेपाल के विराटनगर और लहान के आंख अस्पताल से इलाज करा कर भारत लौट रहे लोगों के साथ भी सख्ती बरती गई है। नेपाल पुलिस के इस रवैये से सीमा के दोनों ओर के लोगों में आक्रोश है।

नौ माह से बंद है आवागमन :

कोरोना महामारी के चलते प्रखंड से लगी भारत-नेपाल सीमा दोनों तरफ के लोगों के लिए विगत मई 2020 से बंद है। पिछले नौ महीनों से लोग चोरी-छिपे सीमा पर तैनात प्रहरियों की नजरें बचाकर भले ही आना-जाना कर लें, लेकिन कस्टम बैरियर होकर यह असंभव था। भारतीय क्षेत्र में तैनात एसएसबी के अधिकारियों ने हाल में नरम रुख अपनाते हुए इस मामले में ढील दे दी थी, लेकिन नेपाल सशस्त्र पुलिस के अधिकारी नरमी बरतने को कतई तैयार नहीं थे।

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