पंचांग के अनुसार माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी की तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है. 16 फरवरी 2021 को पंचमी की तिथि है. यह पर्व जीवन में ज्ञान और शिक्षा के महत्व को भी दर्शाता है.जीवन में ज्ञान के बिना सफलता की कल्पना करना मुश्किल है. वेद और शास्त्रों में भी ज्ञान के महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया है. ज्ञान हर प्रकार के अंधकार को दूर करने की क्षमता रखता है. वर्तमान समय की बात करें तो शिक्षा से ही सफलता प्राप्त होती है. बसंत पंचमी का दिन ज्ञान के महत्व को जानने का भी पर्व है. बसंत पंचमी का पर्व शिक्षा आरंभ करने के लिए सबसे उत्तम माना गया है. इसलिए इस दिन छोटे बच्चों की शिक्षा का आरंभ किया जाता है. इसके साथ ही इस दिन अबूझ मुहूर्त का निर्माण होता है. बसंत पंचमी के दिन बिना मुहूर्त को देखे शुभ और मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं.
देव गुरू बृहस्पति का होगा उदय ज्योतिष शास्त्र में गुरू ग्रह को भी ज्ञान का कारक माना गया है. गुरू व्यक्ति को शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्रदान कराता है इसके साथ ही जीवन में उच्च पद और विभिन्न स्त्रोतों से धन लाभ भी कराता है. बसंत पंचमी के दिन ही गुरू अस्त से उदय हो रहे हंै. जो एक शुभ योग का निर्माण कर रहा है. जिस कारण बसंत पंचमी का महत्व और भी बढ़ जाता है.
सरस्वती पूजा से दूर होती हैं शिक्षा में आनी बाधाएं बसंत पंचमी के दिन उन लोगों को विशेष पूजा अर्चना करनी चाहिए जिनके जीवन में शिक्षा संबंधी कोई न कोई बाधा बनी ही रहती है. बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विधि पूर्वक पूजा करनी चाहिए.इन मंत्रों का जाप करें ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नम:. ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नम:.सरस्वती पूजा शुभ मुहूर्त बसंत पंचमी का पर्व 16 फरवरी को सुबह 03 बजकर 36 मिनट से आरंभ होगा जो 17 फरवरी को पंचमी की तिथि के साथ ही समाप्त होगा. इस दिन मां सरस्वती की पूजा विधि पूर्वक करनी चाहिए और मां को वाद्य यंत्र और पुस्तके आदि अर्पित करनी चाहिए