बिहार पंचायत चुनाव की तैयारी जोरों पर है. लेकिन चुनाव से ठीक पहले सैकड़ों मुखिया के लिए बुरी खबर है. दरअसल नीतीश सरकार ने एक बड़ा निर्णय लिया है. बिहार के पंचायती राज विभाग के अनुसार नल-जल योजना का कार्य पूरा नहीं करने वाले मुखिया और वार्ड सदस्यों पर कार्रवाई की जाएगी. ऐसे में जिन पंचायतों में काम अधूरा है, उन पंचायतों के जनप्रतिनिधियों को अगले पंचायत चुनाव लड़ने में कठिनाई हो सकती है. पंचायती राज विभाग इसकी सूची बना रहा है की किन-किन जिलों के मुखिया और वार्ड सदस्यों ने इस काम को नहीं कराया है. इस बार उनके पंचायत चुनाव लड़ने पर रोक लग जायेगी।पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने कहा है कि पैसा मुखिया के पास जाता है और उन्हें ही वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति से काम कराना है. योजना पूरी नहीं होने पर मुखिया और वार्ड सदस्य दोनों जिम्मेदार माने जाएंगे. लंबित वार्डों वाले जिम्मेदार मुखिया की संख्या करीब 400 है. उन्होंने सभी डीएम काे पत्र लिखकर जिन मामलों में एफआईआर दर्ज हुई है, उनमें जल्द गिरफ्तारी करवाने का निर्देश दिया है. कई मामलों में संवेदक और वार्ड सदस्यों की मिली भगत से राशि गबन किये जाने का मामला उजागर होने की बात कही जा रही है. डीएम ने निर्देश दिया है कि जिन मामलों में प्राथमिकी दर्ज हुई है, उन सभी में अभियुक्तों की गिरफ्तारी सुनिश्चत करें. साथ ही सभी जिला पंचायती राज पदाधिकारियों से कहा है कि वे सभी वर्तमान मुखिया और वार्ड सदस्यों को इस संबंध में सूचना दे दें, ताकि बचे हुए काम युद्धस्तर पर कराया जा सके.
पंचायती राज विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि हर घर नल जल का काम पूरा नहीं करने वाले मुखिया और वार्ड सदस्य आगामी पंचायत चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. नल जल योजना का काम पूरा नहीं करने वाले मुखिया और वार्ड सदस्यों को अगले पांच साल तक अयोग्य घोषित करने के प्रावधानों से अवगत कराने के लिए कहा है. पंचायती राज अधिनियम के मुताबिक चुने हुए जन प्रतिनिधियों को उन्हें दिए गए दायित्वों का निर्वहन नहीं कर पाने पर पद से हटाने का प्रावधान है. हटाए जाने के बाद उन्हें आगामी चुनाव में अयोग्य घोषित करने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. राज्य के 67 हजार वार्डों में मुखिया और वार्ड सदस