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शिवहर जिले में 4500 घरों के सर्वे में 300 लोग टीबी के संभावित रोगी मिले


- एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान के तहत जनवरी में 22 हजार लोगों की हुई स्क्रीनिंग 
-300 लोगों की जांच के बाद 34 में टीबी की पुष्टि हुई 

प्रिंस कुमार 
शिवहर, 20 फरवरी|
टीबी रोग को समाप्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग अब पूरी तरह से तैयारियों में लगा है। वर्ष 2025 तक देश को टीबी रोग मुक्त बनाया जाना है। इस संकल्प को सही मायने में धरातल पर उतारने को लेकर जिला क्षय रोग इकाई नए कार्यक्रम शुरू करने के साथ ही पहले से चल रहे कार्यक्रमों में और तेजी ला रही है। पूरे जनवरी सघन टीबी रोगी खोज (एक्टिव केस फाइंडिंग) अभियान चलाया गया। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अन्तर्गत टीबी हारेगा-देश जीतेगा अभियान के तहत जिले में प्रचार प्रसार की विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। टीबी के जिला प्रोग्राम कोर्डिनेटर संजीव कुमार ने बताया कि जनवरी में 4500 घरों का सर्वे किया गया। इन घरों के 22 हजार लोगों की स्क्रीनिंग की गई। जिसमें से 300 लोग टीबी के संभावित मरीज के रूप में चयनित किये गए। 300 लोगों की जांच के बाद 34 में टीबी की पुष्टि हुई। 

ट्रू नेट और सीबीनेट से दो घंटे में जांच
संजीव कुमार ने बताया कि ट्रू नेट और सीबीनेट मशीन से टीबी रोगियों की जल्द पहचान होने में काफी मदद मिल रही है। जिले के सदर अस्पताल में इस मशीन से जांच होने पर टीबी के मरीज की जल्द पहचान हो जाती है। जनवरी में ट्रू नेट से 108 मरीजों की जांच की गई, जिसमें 23 नए रोगी मिले। सभी का उपचार भी शुरू कर दिया गया है। मशीन में सैंपल लगने के बाद दो घंटे में टीबी रोग का पता चल जाता है। इससे क्षय रोगियों का जल्द उपचार शुरू होने में मदद मिल रही है। सबसे खास बात है कि इस मशीन से जांच के बाद चिह्नित मरीज को कौन सी दवा दी जानी है, इसका भी पता चल जाता है।

टीबी मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं
टीबी मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं। नॉर्मल टीबी, एमडीआर और एक्सडीआर। लगातार तीन हफ्तों से खांसी का आना और आगे भी जारी रहना। खांसी के साथ खून का आना। सीने में दर्द और सांस का फूलना। वजन का कम होना और ज्यादा थकान महसूस होना। शाम को बुखार का आना और ठंड लगना। रात में पसीना आना। यह टीबी के प्रमुख लक्षण हैं ।

एक से दूसरे में फैलता है टीबी का बैक्टीरिया 

टीबी बैक्टीरिया से होनेवाली बीमारी है, जो हवा के जरिए एक इंसान से दूसरे में फैलती है। यह आमतौर पर फेफड़ों से शुरू होती है। टीबी का बैक्टीरिया हवा के जरिए फैलता है। खांसने और छींकने के दौरान मुंह-नाक से निकलने वालीं बारीक बूंदों से यह इन्फेक्शन फैलता है। अगर टीबी मरीज के बहुत पास बैठकर बात की जाए और वह खांस नहीं रहा हो तब भी इसके इन्फेक्शन का खतरा हो सकता है। इसलिए मरीज के परिवार और दूसरे लोग भी दूरी बनाकर रहें। 

कम इम्युनिटी वालों को अधिक संभावना रहती  
अच्छा खान-पान न करने वालों को टीबी ज्यादा होती है, क्योंकि कमजोर इम्युनिटी से उनका शरीर बैक्टीरिया का वार नहीं झेल पाता। धूम्रपान करने वाले को टीबी होने की संभावना होती है। डायबिटीज के मरीजों, स्टेरॉयड लेने वालों और एचआईवी मरीजों को भी टीबी होने की संभावना अधिक रहती है । कुल मिला कर उन लोगों को टीबी होने की अधिक संभावना रहती जिनकी इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता ) कम होती है। कोरोना महामारी के दौर में वैसे तो सभी को सतर्कता बरतनी है, लेकिन टीबी के मरीजों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। खासकर उन मरीजों को जो पहले से ही फेफड़े की समस्या से जूझ रहे हैं। 

प्राइवेट अस्पताल में इलाजरत मरीजों को भी सरकारी लाभ
टीबी के मरीजों का इलाज भले ही प्राइवेट में चलता रहे, लेकिन दवा सरकारी अस्पताल की और वो भी मुफ्त दी जाती है। दरअसल, प्राइवेट अस्पताल मरीजों को भर्ती करते हैं और इसकी सूचना जिला क्षय नियंत्रण केंद्र को देते हैं। सूचना देने के लिए अस्पताल वालों को भी 500 रुपये मिलते हैं।

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