- पहली बार सिजेरियन डिलीवरी हुई है तो दूसरी बार गर्भधारण से लें ब्रेक
मोतिहारी, 26 फरवरी| बदलते परिवेश में अगर स्वस्थ्य बच्चे की चाहत है तो महिलाओं को अपनी सेहत का ध्यान रखना बेहद आवश्यक है। शादी के बाद जब फैमिली प्लानिंग की सोच रखते हैं तो ऐसे में महिला को शारीरिक एवं मानसिक तौर पर तैयार होना बेहद आवश्यक है। यह कहना है सदर अस्पताल में कार्यरत स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ प्रीति गुप्ता का। उन्होंने बताया कि गर्भावस्था हर महिला के लिए बहुत खास पल होता है। इस दौरान उनके शरीर में शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक बदलाव आते हैं। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अपनी सेहत के प्रति जिम्मेदारी अधिक बढ़ जाती है। इसका कारण है कि उनको खुद के साथ अपने गर्भस्थ शिशु का भी ख्याल रखना पड़ता है। ऐसे में शरीर को अतिरिक्त पोषक तत्वों, विटामिन्स और मिनरल्स की जरूरत होती है। हर कोई चाहता है कि डिलीवरी नॉर्मल ही हो। लेकिन कई बार किसी जटिलता के कारण तो सिजेरियन डिलीवरी की जरूरत पड़ती है।
नॉर्मल डिलीवरी के उपाय
डॉ प्रीति गुप्ता ने बताया कि वह नॉर्मल डिलिवरी की चाह रखने वाली महिलाओं को सर्वप्रथम संतुलित भोजन, पानी का उचित मात्रा में सेवन, समय समय पर आवश्यक जांच, तनाव से बचने, सुबह- शाम में टहलने, खुशनुमा वातावरण में रहने की सलाह है । वहीं सिजेरियन डिलीवरी में प्रसव के दौरान ऑपरेशन किया जाता है। इसके बाद गर्भ से शिशु को बाहर निकाला जाता है।
क्यों की जाती है सिजेरियन डिलीवरी
ज्यादातर देखा गया है कि जब गर्भ में बच्चा पूरी तरह विकसित हो जाता है यानी करीब प्रेग्नेंसी के 39वें महीने में सिजेरियन डिलीवरी की सलाह डॉक्टर्स देते हैं। ऐसा अगर लेबर पेन के दौरान जच्चा-बच्चा की जान खतरे में हो या फिर बच्चे को निकलने में दिक्कत हो रही हो, तब निर्णय लिया जाता है।
कैसी होनी चाहिए पोस्ट डिलीवरी डाइट
शिशु के जन्म के बाद महिलाओं को अपनी सेहत का खास ख्याल रखना चाहिए। अच्छा स्वास्थ्य के लिए उनका खानपान भी हेल्दी रहना चाहिए। डाइट में सभी पोषक तत्वों से समाहित खाद्य पदार्थ को शामिल करना जरूरी है। लोगों को अपने दैनिक आहार में प्रोटीन, कैल्सियम , विटामिन, फाइबर से भरपूर खाना खाना चाहिए। वहीं, जिन खाद्य पदार्थों को पचाने में मुश्किल आती है, उन्हें न खाएं।
दूसरी बार गर्भधारण करने में लें ब्रेक
यदि आपकी पहली डिलीवरी सिजेरियन हुई है तो दूसरी बार गर्भधारण करने से पहले ब्रेक लें। स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. रीना झा ने बताया कि दूसरी बार गर्भधारण के लिए कम से कम 3 साल का इंतजार करने के बाद ही गर्भधारण करें।
अपनाएं गर्भ निरोधक साधन
सिविल सर्जन डॉ अखिलेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि जिले में परिवार नियोजन कार्यक्रम संचालित किया जाता है। बच्चों में अंतर रखने के लिए तथा अनचाहे गर्भ से निजात के लिए प्रसव के 48 घंटे के अंदर पीपीआईयूसीडी (प्रसवोपरांत कॉपर-टी) लगायी जाती है। गर्भनिरोधक का यह एक सुरक्षित साधन है। इसका कोई साइडइफेक्ट नहीं होता है। इससे लाभार्थी को न ही दर्द होता है ना ही कोई अतिरिक्त ब्लीडिंग होती है। इससे गर्भधारण की समस्या से लंबे समय तक छुटकारा पाया जा सकता है। इसके अलावा सदर अस्पताल में कई तरह के अस्थाई सामाग्रियां मौजूद हैं। इनमें कंडोम, अंतरा इंजेक्शन, छाया गोली, गर्भनिरोधक गोली जैसे साधन उपलब्ध हैं।
डॉ अखिलेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा की कोरोना काल मे निम्न बातों पर ध्यान देना आवश्यक है ।
- दो गज की सोशल डिस्टेंस का पालन करें ।
- घर से बाहर निकलने पर हमेशा साफ सुथरे मास्क का प्रयोग करें ।
- छीकने या खाँसने वालों से दूरी बनाकर रहें ।
- बराबर हाथों को साबुन या सैनिटाइजर से साफ करते रहें ।