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सूड़ी हाईस्कूल के शताब्दी वर्ष समारोह पर बोले उप मुख्यमंत्री- उन्नयन के लिए हरसंभव मदद करेगी सरकार

पप्पू कुमार पूर्वे 


राज्य के उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि किसी संस्था का सौ वर्ष पूरा होना सुखद क्षण होता है। उस क्षण में हम गौरवान्वित होते हैं। आज से सौ वर्ष पीछे जब हम जाते हैं तो हम पाते हैं कि किस तरह हमारे पूर्वजों ने शिक्षा के क्षेत्र में अलख जगाने का काम किया। उस समय हमारे पूर्वजों ने समाज की जरुरतों के अनुसार आधारभूत संरचनाएं खड़ी की। हमारे पूर्वजों की उसी लगन का पर्याय है गोकुल मथुरा सूड़ी समाज प्लस टू विद्यालय। उप मुख्यमंत्री इसी विद्यालय के परिसर में शताब्दी वर्ष समारोह को संबोधित कर रहे थे।

विद्यालय के 1994 बैच के पूर्ववर्ती छात्रों की ओर से आयोजित इस समारोह के लिए उन्होंने आयोजकों को शुभकामनाएं देते हुए स्कूल के उन्नयन की दिशा में सरकार के स्तर पर हर संभव मदद का आश्वासन दिया।

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले के समाज में लोग सामाजिक भावना से ओतप्रोत थे। अपनी संपदा से समाज के लिए संरचनाएं खड़ी करते थे, लेकिन आज इस भावना का पतन हो रहा है। आज वाणिज्यिक सोच विकसित होती जा रही है। इस सोच को बदलने की जरूरत है। कहा कि आज हमारी सोच सरकार पर निर्भर होती जा रही है। कई छोटी समस्याएं जिनका स्थानीय स्तर पर समाधान किया जा सकता है, उसके लिए भी हम सरकार की ओर देखते हैं। उन्होंने स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी विद्यालय के विकास में पहल करने की अपील की। इससे पूर्व उप मुख्यमंत्री ने विद्यालय के संस्थापक गोकुल पंजियार व मथुर पंजियार के तैल चित्रों पर पुष्पांजलि अर्पित कर समारोह का विधिवत उदघाटन किया।

शिक्षकों व अभिभावकों को दी नसीहत :

उप मुख्यमंत्री ने शिक्षकों व अभिभावकों को भी नसीहत दी। कहा कि समय के साथ-साथ शिक्षक खुद को सरकारी कर्मचारी समझने लगे हैं। शिक्षकों को इस सोच से बाहर निकलने की जरूरत है। उन्हें यह समझना होगा कि आने वाला भारत शिक्षकों के हाथों में ही है। वे जिस प्रकार गढ़ेंगे, आने वाला बिहार व राष्ट्र वैसा ही होगा। पहले के अभिभावक विद्यालयों की गतिविधियों में संलिप्त होते थे, लेकिन आज अभिभावक भी अपनी भूमिका से पीछे हटते जा रहे हैं। अभिभावक खुद को उपभोक्ता समझने लगे हैं। शायद यही वजह है कि स्कूलों के प्रति सामाजिक उदासीनता की स्थिति बन चुकी है। अभिभावकों को भी इस स्थिति से बाहर निकलना होगा।

परंपरा की धरती रही है मधुबनी

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि मधुबनी परंपराओं की धरती रही है। मधुबनी ने बिहार को हमेशा गौरवान्वित किया है। आज यहां की मिथिला पेंटिंग का देश-दुनिया में डंका बज रहा है। कहा कि यहां के प्रमुख उत्पादों व कला को आगे बढ़ाने में सरकार पीछे नहीं हटेगी।

मिथिला के लोग शुरू से रहे शिक्षा अनुरागी : संजय

राज्य के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने कहा कि सूड़ी हाईस्कूल इस बात का पर्याय है कि आज से सौ साल पहले हमें पूर्वजों की शिक्षा के प्रति सोच कैसी थी। इस स्कूल का सौ वर्षों का इतिहास गौरवशाली रहा है। मिथिला क्षेत्र में सदियों से लोगों की सोच शिक्षा के प्रति सकारात्मक रही है। इसलिए, इस धरती को ज्ञान की धरती भी कहा जाता है। यह स्कूल इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है। इस स्कूल की स्थिति बेहतर करने के लिए सरकार के स्तर पर हर संभव मदद करेंगे। साथ ही जरूरत है कि वर्तमान शिक्षक व अभिभावक भी अपने कर्तव्यों के प्रति सजग व गंभीर रहे।

समाज को उठानी होगी अपनी जिम्मेवारी : डॉ. रामप्रीत

पीएचईडी मंत्री डॉ. रामप्रीत पासवान ने कहा कि जिस समय इस स्कूल की स्थापना हुई, उस समय लोकतंत्र नहीं था। आज जब हम लोकतंत्र में सांसें ले रहे हैं तो इन स्कूलों की जमीन का अतिक्रमण हो रहा है। स्कूल का परिसर व्यवसाय का केंद्र बन चुका है। यहां मेलों का आयोजन किया जाता है। हम बड़ी आसानी से सरकार व प्रशासन पर उंगली उठाते हैं, लेकिन हमें यह भी सोचना होगा कि हमार जमीर कहां चला गया। कहा कि आज पैसे वाले लोगों के बच्चे महंगे निजी स्कूलों में पढ़ते हैं, लेकिन सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए सरकारी स्कूलों में नामांकन कराते हैं। हमारे पूर्वजों ने समाज के हित के लिए जो संपदा दान कर दी, आज हम उनकी सुरक्षा तक नहीं कर पा रहे। समाज को जागरूक होना पड़ेगा। सरकार अपना काम कर रही, समाज को भी अपना जिम्मा उठाना हेागा।

महिला शिक्षा को बढ़ावा दे रहे नीतीश कुमार : शीला कुमारी

परिवहन मंत्री शीला मंडल ने कहा कि हमारे पूर्वज शिक्षा अनुरागी थे। वे जानते थे कि शिक्षा शेरनी का वह दूध है जिसे पीकर लंगड़ा भी पहाड़ चढ़ सकता है। यह स्कूल उसी शिक्षा प्रेम का एक उदाहरण है। कहा कि मधुबनी की धरती पावन है। यह सीता मैया की धरती है। विद्यापति की धरती है। शंकराचार्य भी यहां पधार चुके हैं। शुरू से ही इस धरती की पहचान ज्ञान की धरती के रूप में रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में शिक्षा के क्षेत्र में लगातार काम हो रहे हैं। साइकिल, पोशाक, छात्रवृत्रि आदि योजनाओं के बदौलत महिला शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है।

सिस्टम को ठीक करने की जरूरत : फातमी

पूर्व केंद्रीय मंत्री मो. अली अशरफ फातमी ने कहा कि आज भी देश के नब्बे फीसद स्कूल सरकारी हैं, जबकि महज दस फीसद स्कूल ही निजी क्षेत्र के अंतर्गत हैं। कहा कि आज शिक्षा के क्षेत्र में जो खामियां दिख रही हैं, उन्हें पटरी पर लाने के लिए हमें सिस्टम को ठीक करने की जरूरत है। कहा कि आजादी के समय स्वतंत्रता संग्राम के साथ ही महात्मा गांधी शिक्षा के मोर्चे पर भी लड़ रहे थे। उस समय उन्होंने बिहार में करीब चार सौ बुनियादी स्कूल खुलवाए। केंद्र में शिक्षा मंत्री रहते उन बुनियादी स्कूलों में 12-12 कमरों का भवन बनवाया। कहा कि विकास से आमलोगों का फायदा

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