मिथिला के बेटा, देश के नेता, अर्थशास्त्र के प्रणेता एवं स्वतंत्रता आन्दोलन के प्रतीक शहीद ललित नारायण मिश्र के कृतित्व एवं व्यक्तित्व का प्रभाव सिर्फ मिथिला में ही नहीं, देश- विदेश में फैला हुआ था। उक्त बातें विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डॉबैद्यनाथ चौधरी बैजू ने मंगलवार को विद्यापति सेवा संस्थान एवं एमएमटीएम कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ललित जयंती समारोह में कही। मौके पर डाॅ बैजू ने ललित नारायण मिश्र को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की जोरदार मांग की। जिसका उपस्थित लोगों ने करतल ध्वनि से समर्थन किया।
एमएमटीएम कॉलेज के प्रधानाचार्य डाॅ उदय कांत मिश्र ने कहा कि ललित बाबू के जीवन के अंतिम चरण में संपूर्ण मिथिला ललितमय हो उठा था। वह जाति व वर्ग की राजनीति से काफी ऊपर थे इसलिए ना सिर्फ लोकप्रिय थे, बल्कि अपने समय में सर्वमान्य नेता के रूप में प्रतिष्ठित भी हुए। अपना विचार रखते हुए संस्थान के कार्यालय सचिव सह प्रवक्ता प्रवीण कुमार झा ने ललित बाबू की हत्या के करीब 46 साल बीत जाने के बाद भी उनकी हत्या के रहस्य से पर्दा नहीं उठने पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इतना लम्बा समय बीत जाने के बाद भी मिथिला के इस दुखद और संवेदनशील राजनीतिक हत्या का रहस्य अभी भी बना होना चिंता व निन्दा का विषय है। उन्होंने लोकतंत्र में जनशक्ति को महाशक्ति बताते हुए इस रहस्य से पर्दा उठाने के लिए अपनी आवाज बुलंद करने का आह्वान किया।
डाॅ हरेराम झा ने अपने संबोधन में उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर ललित बाबू को पं अयाची मिश्र का वंशज बताते हुए उनके द्वारा विभिन्न मंत्रालयों में दिए गए योगदानों सहित मिथिला, बिहार व देश के विकास के लिए किए गए उनके महत्वपूर्ण कार्यों की विस्तार से चर्चा की। हरिकिशोर चौधरी ने उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व की चर्चा करते हुए भारत रत्न सम्मान पाने का ललित बाबू को वाजिब हकदार करार दिया। प्रो चन्द्र शेखर झा बूढाभाई ने कहा कि ललित बाबू भारतीय राजनीति में साफ-सुथरी छवि वाले कद्दावर नेता थे, जिन्हें राजनीति में लाने का श्रेय बिहार के पहले मुख्यमंत्री डॉ श्री कृष्ण सिंह को जाता है।
प्रवीण कुमार झा के संचालन में आयोजित समारोह में डाॅ गणेश कांत झा, मिथिलेश चौधरी, चन्दन सिंह, चौधरी फूल