श्री. रमेश शिंदे
अनियंत्रित एवं तेजी से बढती जा रही भारत की जनसंख्या को रोकने हेतु सरकार ने कठोर कानून नहीं बनाए, तो देश के नागरिकों के लिए अनाज, वस्त्र, निवास, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार आदि के लिए सरकार कितनी भी निधि खर्च करे अथवा अच्छी योजनाएं बनाए, उसका परिणाम साध्य नहीं होगा; क्योंकि ये योजनाएं कार्यान्वित होकर उनका जनता को लाभ होने तक पुनः उतनी ही जनसंख्या बढ चुकी होगी । जब तक समस्या के मूल कारण के लिए समाधान नहीं निकाला जाता, तब तक कुछ साध्य नहीं होगा । भारत के उपरांत स्वतंत्र हुए चीन एवं अन्य देश विश्व की महासत्ता बनने की ओर अग्रसर हैं । हमें 70 वर्ष हो गए, तब भी अब तक गरीबी से लड रहे हैं । दो बार का भोजन, बिजली, पानी, सडकें, ये प्राथमिक सुविधाएं भी हम सभी देशवासियों को नहीं दे पाए हैं । ऐसा ही चलता रहा तो हमारा और देश का अस्तित्व खतरे में आ जाएगा । इसलिए शासन सर्वप्रथम देश में 'हम दो हमारे दो' इस 'जनसंख्या नियंत्रण कानून' कठोरता से लागू करे, ऐसी मांग *सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय* ने की है । जनसंख्या नियंत्रण हेतु अधिवक्ता उपाध्याय ने सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका भी प्रविष्ट की है ।
हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित 'सनातन संवाद' कार्यक्रम में 'जनसंख्या विस्फोट रोकने हेतु कानून की आवश्यकता' विषय पर वे बोल रहे थे । हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. सतीश कोचरेकर ने उपाध्यायजी से संवाद किया । *यह कार्यक्रम फेसबुक एवं यू-ट्यूब के माध्यम से 23,911 लोगों ने प्रत्यक्ष देखा ।*
*अधिवक्ता उपाध्याय ने कहा कि* वर्ष 2019 में भारत में 125 करोड आधार कार्डधारक हैं, फिर भी प्रत्यक्ष भारत की जनसंख्या 150 करोड से अधिक है; क्योंकि 20 प्रतिशत लोगों के पास आधार कार्ड नहीं है । प्रतिदिन भारत में 70 हजार बालकों के जन्म की प्रविष्टि हुई । रुग्णालय के अतिरिक्त घर में जन्म लेनेवाले 20 प्रतिशत बालकों की प्रविष्टि तुरंत नहीं होती । जनसंख्या वृद्धि के कारण सभी क्षेत्रों में भीड बढ रही है । कितनी भी नई सडकें, महामार्ग बनाए जाएं, तब भी वाहनों की संख्या बढ ही रही है । इससे वायुप्रदूषण एवं ध्वनिप्रदूषण में वृद्धि होकर स्वास्थ्य की समस्याएं निर्माण हो गई हैं ।
*जनसंख्या पर नियंत्रण पाने के लिए आज तक राजनीतिज्ञों ने प्रयास क्यों नहीं किए, इस प्रश्न पर बोलते हुए अधिवक्ता उपाध्याय ने कहा कि* नेताओं ने केवल सत्ता को महत्त्व दिया । जनता को देश की खरी समस्याएं कभी बताई ही नहीं । केवल मुफ्त घर, बिजली, पानी और अन्य प्रलोभन देने की नेताओं ने आदत डाल दी है । इस मुफ्तगिरी के अफीम के कारण लोगों की विचार करने की क्षमता ही समाप्त हो गई है । यह नेताओं का देश से किया हुआ द्रोह ही है । संविधान में जनसंख्या नियंत्रण करने संबंधी स्पष्ट प्रावधान होते हुए भी उसे अमल में क्यों नहीं लाया गया ? इस विषय में अब जनता को आगे आकर जनप्रतिनिधियों से प्रश्न करने चाहिए । इस कानून के लिए आवाज उठानी चाहिए । एक प्रतिशत लोगों ने भी यदि दिल्ली में किसानों समान आंदोलन किया, तो एक दिन में यह कानून बन जाएगा, ऐसा भी अधिवक्ता उपाध्याय ने कहा ।