पप्पू कुमार पूर्वे
महाशिवरात्रि का पर्व जयनगर शहर में बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया । शिव मंदिरों में जलाभिषेककरने के लिए श्रद्धालुओं के जत्थे सुबह से ही पहुंचना शुरू हो गया। श्रद्धालुओं ने बारी-बारी से शिवलिग पर जलाभिषेक कर सुख-शांति की कामना की। इस दौरान बम-बम भोले, हर-हर महादेव के जयकारे और घंटों की ध्वनि से मंदिर परिसर गूंजते रहा।मधुबनी जिला के जयनगर के शिलानाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ काफी उभर गई। गंगाजल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, बेर, मेवा, मिठाई, फल आदि चढ़ाकर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। इस मंदिर परिसर घंटों की ध्वनि और भोले के जयकारों से पूरे दिन गूंजते रहे।बता दे कि शिलानाथ मन्दिर को मिथिलांचल का आस्था केन्द्र भी कहा जाता है।यह मंदिर मधुबनी जिला के जयनगर अनुमंडल मुख्यालय से तीन किलोमीटर दक्षिण पश्चिम अवस्थित शिलानाथ महादेव सैकड़ों वर्षो से श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केन्द्र बना हुआ है। लोगों की आस्था ऐसी कि जो भी श्रद्धालु मिथिला का भ्रमण करने आते वो अवश्य शिलानाथ महादेव का दर्शन करने पहुंचते हैं।सैकड़ों वर्ष से स्थापित शिलानाथ महादेव का पौराणिक महत्व है। धार्मिक ग्रंथ वर्षकृत में भी शिलानाथ महादेव का वर्णन है। कहा जाता है कि बनारस में काशी विश्वनाथ की स्थापना काल में ही शिलानाथ महादेव की भी स्थापना की गई थी। ताकि मिथिलाचल के लोगों को काशी विश्वनाथ के दर्शन का पुण्य शिलानाथ महादेव के दर्शन से ही प्राप्त हो सके। प्राचीन काल में कमला नदी भी इसी मंदिर के बगल से होकर गुजरा करती थी।सैकड़ों वर्ष से स्थापित शिलानाथ महादेव का पौराणिक महत्व है। धार्मिक ग्रंथ वर्षकृत में भी शिलानाथ महादेव का वर्णन है। कहा जाता है कि बनारस में काशी विश्वनाथ की स्थापना काल में ही शिलानाथ महादेव की भी स्थापना की गई थी। ताकि मिथिलाचल के लोगों को काशी विश्वनाथ के दर्शन का पुण्य शिलानाथ महादेव के दर्शन से ही प्राप्त हो सके। प्राचीन काल में कमला नदी भी इसी मंदिर के बगल से होकर गुजरा करती थी। शिवरात्रि एवं सावन महीने में यहां लोगों की भारी भीड़ जुटती है।