फणीश्वर नथ रेणु जन्म शताब्दी वर्ष के शुभारंभ पर दिल्ली के हंसराज काॅलेज की ओर से आयोजित समारोह को सम्बोधित करते हुए पूर्व उपमुख्यमंत्री व सांसद सुशील कुमार मोदी ने बिहार सरकार से रेणु जन्म शताब्दी वर्ष में बड़े पैमाने पर समारोह आयोजित करने की अपील की। इसके पूर्व उन्होंने कंकड़बाग स्थित उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित किया।
श्री मोदी ने कहा कि बिहार की धरती ने रेणु, दिनकर, बेनीपुरी, शिवपूजन सहाय व नगार्जुन जैसी साहित्यिक विभूतियों को पैदा किया। ग्राम्य जनजीवन के चितेरा फणीश्वर नाथ रेणु अनेक कालजयी साहित्यिक रचनाओं के रचनाकार होने के साथ ही कई जनआंदोलनों के भी प्रणेता और सक्रिय भागीदार रहें। चाहे आजादी की लड़ाई हो, इंमरजेंसी के खिलाफ आंदोलन या नेपाल में राणाशाही के खिलाफ जनांदोलन, सबमें रेणु की अग्रणी व सक्रिय भूमिका रही है।
रेणु ने अपने समय के समाज का यर्थाथ चित्रण कर अपनी रचनाआंे को अमरता प्रदान किया है। यही वजह है कि उनकी अनेक रचनाओं का अंग्रेजी से लेकर अनेक भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। अपनी रचनाओं के माध्यम से रेणु आज भी केवल कोसी के अंचल में ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारतीय ग्रामीण समाज के प्रतिनिधि रचनाकार के रूप में स्थापित है।
साहित्य, समाज और राजनीतिक में उनके योगदान को भूलाया नहीं जा सकता है। 1972 में उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा, मगर हार गए। बाद के दिनों में भाजपा ने उनके पुत्र को फरबिसगंज से टिकट दिया और वे विधायक बने। ऐसे महान साहित्यकार की स्मृति में वर्ष भर सार्थक आयोजन होना चाहिए।