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मिथिलाक्षर प्रशिक्षण कार्यशाला के दूसरे दिन वर्णों के लेखन की दी गई जानकारी

संवाद 
 एमएलएसएम कॉलेज में चल रहे 21 दिवसीय मिथिलाक्षर प्रशिक्षण कार्यशाला के दूसरे दिन मिथिलाक्षर लिपि के उद्भव, विकास एवं इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए मिथिलाक्षर के वर्णमाला के प्रशिक्षण कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की गई। मौके पर उपस्थित मैथिली विभागाध्यक्ष डॉ रमेश झा ने मौजूदा संदर्भ में मिथिलाक्षर लिपि के ज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए मिथिलाक्षर में लिपिबद्ध प्राचीन पांडुलिपियों के संरक्षण में इसे उपयोगी बताया। डाॅ उषा झा ने कहा कि मातृलिपि का ज्ञान होने से व्यक्ति के आत्मविश्वास में पूर्णता जागृत होती है, जो उनके व्यक्तित्व के समुन्नत विकास के साथ ही सुंदर भविष्य के निर्माण में सहायक होता है।
 कार्यशाला के संयोजक डाॅ शांतिनाथ सिंह ठाकुर ने बताया कि इस कार्यशाला में अब तक कुल 31 छात्र-छात्राओं ने अपना पंजीयन कराया है जिनके कक्षा की शुरुआत शुक्रवार से प्रारंभ कर दी गई। शुक्रवार को प्रशिक्षक डाॅ अमलेन्दु शेखर पाठक ने कक्षा की विधिवत शुरुआत करते हुए प्रतिभागियों को विभिन्न मिथिलाक्षर की वर्णमाला के विभिन्न अक्षरों के रूप और आकार के गठन की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि पंजीकरण का काम अभी भी जारी है और मिथिलाक्षर प्रशिक्षण कार्यशाला में भाग लेने के इच्छुक अभ्यर्थी सीधे विभाग से संपर्क कर सकते हैं।

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