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चमकी को धमकी देने को लेकर नुक्कड़ नाटक टीम को डीएम ने किया रवाना


बादल राज
सीतामढ़ी,बिहार (मिथिला हिंदी न्यूज) जिलाधिकारी ने समाहरणालय परिसर से सूचना एवम जनसंपर्क की कला जत्था टीम को वाहन सहित हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। कला जत्था की  तीनों टीम के द्वारा जिले के चमकी बुखार से ज्यादा प्रभावित प्रखंडो के 108 महादलित टोलों में  गीत-संगीत एवम नाटक के द्वारा लोगो को जागरूक किया जाएगा। गौरतलब हो कि मस्तिष्क ज्वर (चमकी बुखार) एक गंभीर बीमारी है जो ससमय इलाज से ठीक हो सकता है। अत्यधिक गर्मी एवं नमी के मौसम में यह बीमारी फैलती है।1 से 15 वर्ष तक के बच्चे इस बीमारी से ज्यादा प्रभावित होते हैं.
*मस्तिष्क ज्वर के लक्षण*
सर दर्द तेज बुखार आना जो पांच 7 दिनों से ज्यादा का ना हो।
पूरे शरीर या किसी खास अंग में लकवा मार देना या हाथ पैर का अकड़ जाना।
बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक संतुलन ठीक ना होना।
शरीर में चमकी होना अथवा हाथ पैर में थरथराहट होना।
अर्थ चेतना एवं मरीज में पहचानने की क्षमता नहीं होना/ भ्रम की स्थिति में होना /बच्चे का बेहोश हो जाना।

*इसमें चिकित्सीय परामर्श में विलंब के कारण मरीज की स्थिति गंभीर हो सकती है*

*सामान्य उपचार एवं सावधानियां*
अपने बच्चों को तेज धूप से बचाए, गर्मी के दिनों में बच्चों को ओआरएस अथवा नींबू,पानी, चीनी का घोल पिलाएं, 
रात में बच्चों को भरपेट खाना खिला कर ही सुलाएं,
अपने बच्चों को दिन में दो बार स्नान कराएं.

*क्या करें*
तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजे पानी से पोछे एवं पंखा से हवा करें ताकि बुखार 100 डिग्री से कम हो सके, 
चमकी आने की दशा में मरीज को बाएं या दाएं करवट में लिटा कर ले जाए, 
बच्चे के शरीर से कपड़े हटा ले एवं गर्दन सीधा रखें, 
 अगर मुंह से लार या झाग निकल रहा हो तो साफ कपड़े से पोछे, जिससे कि सांस लेने में कोई दिक्कत ना हो, 
तेज रोशनी से बचाने के लिए मरीज की आंखों को पट्टी या कपड़े से ढके, 
यदि बच्चा बेहोश नहीं है तब साफ एवं पीने योग्य पानी में ओ आर एस का घोल बनाकर पिलाएं

*क्या ना करें*
बच्चे को खाली पेट लीची या अन्य फल ना खिलाए, अधपके अथवा कच्चे लीची या अन्य फल के सेवन से बचें, 
बच्चे को कंबल या गर्म कपड़े में ना लपेटे, 
बच्चे की नाक बंद नहीं करें, 
बेहोशी/ मिर्गी की अवस्था में बच्चे के मुंह से कुछ भी ना दे, 
बच्चे का गर्दन झुका हुआ नहीं रखें, 
चुकीं यह दैविक प्रकोप नहीं है बल्कि अत्यधिक गर्मी एवं नमी के कारण होने वाली बीमारी है अतः बच्चे के इलाज में ओझा गुनी में समय नष्ट ना करें।
मरीज के बिस्तर पर ना बैठे तथा मरीज को बिना वजह तंग ना करें।
ध्यान रहे कि मरीज के पास शोर ना हो और शांत वातावरण बनाए रखें, अन्य बातों को सीतामढ़ी D.P.R.O  ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से जारी किया है।

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