- होम आइसोलेशन में घर के सदस्यों से दूर और हवादार कमरों में रहें
- दिन में दो बार बुखार और ऑक्सीजन लेवल की करें जांच
विभिन्न कोरोना संक्रमितों में उनके लक्षण अलग हो सकते हैं। यह उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी निर्भर करता है। साधारण लक्षण वाले संक्रमितों को होम आइसोलेशन की भी सलाह दी जाती है। होम आइसोलेशन शब्द जितना आसान सुनने में लगता है, दरअसल उसमें उतनी ही सावधानियों की जरूरत होती है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 80 प्रतिशत लोग होम आइसोलेशन और 20 प्रतिशत को अस्पताल या किसी चिकित्सकीय देख-रेख की जरूरत पड़ती है। होम आइसोलेशन को तभी चुने जब घर में 24 घंटे देखभाल करने वाला देखभालकर्ता हो। वहीं कोविड संक्रमित व्यक्ति को कोई गंभीर लक्षण भी नहीं होने चाहिए।
होम आइसोलेशन में रोगी क्या करें
होम आइसोलेशन में डॉक्टर घर के सदस्यों से दूरी बना कर रहने की सलाह देते हैं। ऐसे में आप एक अलग कमरा चुनें। इसके साथ ही शौचालय के लिए भी लोगों से अलग बाथरुम काम में लें। हमेशा टि्रपल लेयर के मास्क का ही उपयोग करें। मास्क को छह से आठ घंटे बाद बदलते रहें। बाद में मास्क को कागज में लपेट कर तीन दिन बाद ही सामान्य कचरे में डाल दें। साबुन व पानी से हाथों को अच्छी तरह से धोएं या 70 प्रतिशत एल्कोहल युक्त सैनिटाइजर का उपयोग करें। हमेशा मास्क, कोहनी या रुमाल में ही खांसे या छींके। अपना बर्तन तौलिया व चादर बिल्कुल अलग रखें। पर्याप्त मात्रा में पानी व ताजा जूस पीते रहें। दिन में दो बार शरीर का तापमान व ऑक्सीजन का लेवल मापते रहें। अन्य रोग जैसे शुगर, रक्तचाप का भी इलाज जारी रखें।
होम आइसोलेशन की अवधि
होम आइसोलेशन के शुरु होने के 14 दिनों के बाद, अगर मरीज को आखिरी 10 दिनों में बुखार या अन्य कोई लक्षण नहीं है, तो डॉक्टर से पूछकर होम आइसोलेशन को समाप्त किया जा सकता है। होम आइसोलेशन के बाद यह आप पर निर्भर करता है कि आप लैब जांच करवाते हैं या नहीं।
इन मानकों का ख्याल रख संक्रमण से रहें दूर
- दो गज की शारीरिक दूरी का हमेशा ख्याल रखें।
- मास्क का नियमित रूप से उपयोग करें।
- साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें।
- बाहरी खाना खाने से परहेज करें।
- घर से बाहर निकलने पर निश्चित रूप से सैनिटाइजर साथ रखें।
- भीड़-भाड़ वाले जगहों से परहेज करें।