श्री. रमेश शिंदे
‘मुंबई के कपाडियानगर (कुर्ला) में 50 प्रतिशत हिन्दू रहते थे । वहां अनेक मस्जिदों पर अवैध भोंपू लगाकर कर्णकर्कश आवाजमें अजान देना प्रारंभ हो गया । निरंतर अजान के कष्ट से पीडित होकर वहां के हिन्दुआें ने मुसलमानों को घर बेच दिए और वहां से चले गए । आज वहां केवल 3 प्रतिशत हिन्दू शेष रह गए हैं । यह हिन्दुआें को निष्कासित करने का ही एक प्रकार है । इसलिए मस्जिदों पर लगाए जानेवाले अवैध भोंपुआें का प्रश्न केवल ध्वनि प्रदूषण तक सीमित नहीं है, अपितु हिन्दुआें को निष्कासित करने का नियोजित ‘लैंड जिहाद’ है, ऐसा स्पष्ट मत मस्जिदों पर लगाए हुए अवैध भोंपुआें के विरुद्ध याचिका प्रविष्ट करनेवाले नई मुंबई के हिन्दुत्वनिष्ठ श्री. संतोष पाचलग ने व्यक्त किया । वे हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित ‘ध्वनिवर्धकों से अजान : संवैधानिक कि असंवैधानिक ?’ इस‘ऑनलाइन विशेष परिसंवाद’ में बोल रहे थे । यह कार्यक्रम ‘फेसबुक’ और ‘यू-ट्यूब’ के माध्यम से 13000 लोगों ने देखा ।
श्री. पाचलग ने आगे कहा कि, नई मुंबई स्थित 45 मस्जिदों पर अवैध भोंपुआें के विरुद्ध याचिका जीतना केवल प्रारंभ है । हमने प्रदेश के 3200 अवैध भोंपुआें के विरुद्ध अपमान याचिका उच्च न्यायालय में प्रविष्ट की है । यह संघर्ष चल ही रहा है । हिन्दू जब तक इसमें संगठित होकर सहभागी नहीं होंगे, तब तक राज्यकर्ता हमारे पक्ष में नहीं आएंगे; क्योंकि वे केवल समूह के पीछे भागनेवाले होते हैं । इसलिए हमें हिन्दुआें की संगठित शक्ति निर्माण करनी चाहिए ।
इस परिसंवाद में सहभागी हरियाणा की *‘विवेकानंद कार्य समिति’ के अध्यक्ष श्री. नीरज अत्री* ने कहा कि, अजान हम सुनते हैं; परंतु उसका अर्थ अधिकांश लोग नहीं जानते । अजान में कहा गया है कि ‘अल्लाह ही सर्वश्रेष्ठ है । इस संसार में अल्लाह के अतिरिक्त अन्य कोई पूजने योग्य नहीं है, वैसी मैं गवाही देता हूं ।’ प्रतिदिन देशभर में पांच बार भोंपुआें पर यह संदेश सबको सुनाया जाता है । यह एक प्रकार से हिन्दुआें के देवताआें का अपमान है तथा गैर मुसलमानों की भावनाएं आहत करनेवाला है । उस पर कार्यवाही होनी चाहिए । इस समय *‘हिन्दू विधिज्ञ परिषद’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर* ने कहा कि अवैध भोपुआें के विरुद्ध के संघर्ष में सर्व स्थान के हिन्दुआें को एकत्रित आना चाहिए । पुलिस शिकायत में 100 क्रमांक सहित ‘ट्वीटर’ और ‘फेसबुक’ इन सोशल मीडिया के माध्यमों से तथा राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण, जिलाधिकारी आदि से समूह में शिकायतें करनी चाहिए । पर्यावरण सुरक्षा कानून के अंतर्गत ध्वनि प्रदूषण करनेवाले को पांच वर्ष कारावास और एक लाख रुपयों का दंड है । इन कानूनों का उपयोग करना चाहिए । इस समय भोंपुआें के विरुद्ध संघर्ष करनेवाले *नई दिल्ली के ‘अखंड भारत मोर्चा’ के अध्यक्ष श्री. संदीप आहुजा* ने कहा कि मस्जिदों पर लगे हुए अवैध भोंपू जिहाद पुकारने के लिए हथियार के रूप में उपयोग किए जा रहे हैं । पुलिस मस्जिदों पर लगे हुए अवैध भोंपुआें के विरुद्ध की शिकायतों की उपेक्षा करती है । दिल्ली की 10 मस्जिदों पर लगे हुए अवैध भोंपुआें के विरुद्ध राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण में गया था । वहां एक मुस्लिम न्यायाधीश होने के कारण उसने पहले याचिका लौटाने हेतु दबाव बनाया था; परंतु हम कानूनी भूमिका पर दृढ रहने के कारण उन्हें याचिका स्वीकार करनी पडी; परंतु उनके द्वारा अपेक्षित निर्णय न दिए जाने के कारण हमें सर्वोच्च न्यायालय में जाना पडा ।