रोजेदारों के लिए खुदा की सारी मख्लुकात करती है दुआएं
प्रिंस कुमार
मोतिहारी। रमजान का पाक महीना हमें गरीबों की मदद करने का मौका देता है। बरकतों वाले इस महीने में इबादत की जाती है। इबादत से ही अल्लाह की रहमतें बरसती है, तो जिन्दगी में सुकून मिलता है। असल में सुकून का नाम ही जन्नत है। जो लोग अल्लाह के बताए रास्ते पर चलते है, औरों के लिए भी मिसाल बनते हैं। ये बाते रूहानी शिफाकाना के हाफिज बेताब रजा असलमी ने कहीं। उन्होने कहा कि रमजान ऐसा महीना है, जो दुनिया में हर इंसान को ईमान की राह दिखाता है। जैसे बुरा न बोलो, बुरा न सुनों और न ही बुरा देखों। रमजान में बुराईयों से बचने की हिदायत है। रोजा बुराईयों से रोकता है। रोजा रखने से रूहानी ताकत बढ़ती है तो दूसरों की तकलीफ का भी पता चलता है। ईमान की मजबूती से हम रोजा रखने के साथ कुरान शरीफ की तिलावत भी करते है। असल दीन यही है। हमारी पहचान बन पाती है। इस महीने मे इफ्तार की भी बड़ी अहमियत है। वही श्री असलमी कहा कि रमजान के पवित्र महीने में रोजा रखने से सेहत को भी कई फायदे होते है। यही करण है कि लोग मानसिक और शारिरिक रूप से सेहतमंद रहने के लिए रोजा या व्रत करते है वही श्री असलमी ने कहा कि रोजेदारो के लिए खुदा की सारी मख्लुकात दुआएं करती है। यहां तक कि दरिया की मछलियां भी रोजेदार की संहतों सलामती के लिए दुआ करती है। रोजेदार को इफ्तार कराना, शरबत पिलाना, खाना खिलाना वगैरह बहुत ही सवाब का काम है।