मिथिला हिन्दी न्यूज :- महात्मा गांधी ने हमेशा कहा कि भारत शहरों में नहीं बल्कि गांवों में बसता है। यदि गांवों का नाश होता है, तो भारत का नाश हो जाएगा। गांधी जी का साफ मानना था कि शहरवासियों ने ग्रामवासियों का शोषण किया है। सच तो यह है कि वे गरीब ग्रामवासियों की ही मेहनत पर ही जीते हैं ।
बिहार प्रदेश की मुख्य पहचान इसकी ग्राम शक्ति है भाजपा नेत्री बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की बक्सर जिलाध्यक्ष दुर्गावती चतुर्वेदी का साफ तौर पर मानना है की सक्षम ग्राम के माध्यम से पुरे बिहार प्रदेश का विकास संभव है
भारत के अग्रिम राज्यों की गिनती में सबसे आगे लाने के लिए बिहार में ग्राम शक्ति को मजबूत बनाना होगा जिसके लिए दुर्गावती लगातार प्रयासरत है ।
दुर्गावती चतुर्वेदी अपने कार्यक्षेत्र ब्राह्मपुर में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के द्वारा शिक्षा, स्वरोजगार और समाज सुधार के कार्यों में अग्रणी भूमिका निभा रही है जनता के बिच में शक्तिरूपीनी की पहचान बन चुकी दुर्गावती का जीवन कभी आसान नहीं रहा कुंदेश्वर (आरा ) में जन्मी दुर्गा की अपनी पढ़ाई पूरी होने से पहले शादी हो गयी और बहुत जल्द घर गृहस्थी की जिम्मेदारी उसके कंधो पर आए गयी जिसको उसने सहजता से स्वीकार कर अपनी जीवन की नियति समझ लिया लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था उसके जीवन में पति एक गुरु स्वरुप आये उन्होंने दुर्गावती के अंदर की काबिलियत को पहचाना और अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए प्रेरित किया जिसके अंतर्गत राजनीती शास्त्र के माध्यम भारत की संवैधानिक संरचना के प्रति उत्सुकता बढ़ी लोगो को उनके संवैधानिक अधिकार दिलवाने के दौरान धीरे धीरे जनता से जुड़ाव शुरू हो गया बक्सर में आने वाले बड़े बड़े नेता पदाधिकारी जन प्रतिनिधि से नागरिक अधिकारों के लिए मिलने लगी जन सेवा की इसी भावना के कारण आज अपने क्षेत्र की लोकप्रिय प्रतिनिधि है किसी भी जाति धर्म वर्ग की महिला आज निःसंकोच दुर्गावती के पास अपनी समस्या के समाधान के पहुँचती है विदित हो की दुर्गावती अभी तक किसी संवैधानिक पद पर नहीं है लेकिन जनता द्वारा उनको मिल रहे प्यार से हर जनप्रतिनिधि उनकी मांग को गंभीरता से सुनते है और संभव सहयोग किया जाता है इसी क्रम राजस्थान का प्रतिनिधि. मण्डल सामाजिक कार्यों के लिए बक्सर आये हुए थे जहां उन्होंने दुर्गावती के जनसेवा में समर्पण देख राजस्थान में सम्मान के लिए आमंत्रित किया भव्य रूप से सम्मानित किया गया। कहते है जीवन हमेशा एक जैसी नहीं होती है दो बेटियों और एक बेटे की माँ दुर्गावती पर पीड़ादायक क्षण तब आया जब एक हादसे में बड़ी बहन को खो दिया उसके पश्चात दुर्गावती ने अपनी बहन की बेटियों को माँ की तरह प्यार दिया और उनकी सारी आवश्यकता को पूरा किया अपने बच्चो और उनमे फर्क नहीं किया सामाजिक स्तर हर किसी के दर्द को समझना और उसके अंतिम स्तर तक दूर करने का अथक प्रयास करती है अपना राजनितिक आदर्श सुषमा स्वराज को मानती है जिन्होंने ऊंचे पद पर रहते हुए भी लोगो द्वारा मांगी गयी मदद पर तुरंत कार्रवाई करती थी सुषमा जी की तरह ही भीड़ में अकेली खड़ी होकर कुशल व्यवहार के साथ सबका नेतृत्व करती है जीवन में स्वामी विवेकानंद जी की आधुनिक सोच और विचार को अपनी कार्यशैली का आधार मानते हुए युवाओं महिलाओ को कौशल शिक्षा में मजबूत बनाकर ग्राम शक्ति मजबूत बना रही है जब गाँव में रहने वाले आधुनिक समाज के खेवईया बनेगें तब विकास की नयी परिभाषा स्थापित होगी समाज की मुख्य धारा को उचित सामंजस्य मिलेगा । मुश्किल हालातो में मानसिक स्थिरता बनाये रखते हुए सहज़ नीतियों के साथ राजनीती और समाजसेवा को एक धारा में जोड़कर दुर्गावती आज एक नया आयाम स्थापित कर रही है ।