संवाद
मैथिली के वयोवृद्ध साहित्यकार एवं विद्यापति सेवा संस्थान के आजीवन अध्यक्ष पं चन्द्रनाथ मिश्र अमर के निधन पर संस्थान से जुड़े लोगों ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त की। अपने शोक संदेश में संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने उनके निधन को मैथिली साहित्य जगत के लिए अपूर्णीय क्षति बताते हुए कहा कि वे मैथिली के प्रबुद्ध साहित्यकारों में से एक थे, जिन्होंने उत्कृष्ट लेखन के जरिये मैथिली के साहित्याकाश को आजीवन नई ऊंचाई प्रदान की। उनकी तेजस्विता से मैथिली साहित्य का न सिर्फ तेजी से विस्तार हुआ, बल्कि विकास भी हुआ।
मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने उनके निधन को मैथिली साहित्य के एक युग का अंत बताते कहा कि अपनी अमर कृतियों में वे सदा अमर रहेंगे। विद्यापति सेवा संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष एवं वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ बुचरू पासवान ने कहा कि उनका निधन मैथिली साहित्य के एक युग के अवसान सरीखा है।
वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा ने कहा कि वे न सिर्फ मैथिली में विभिन्न विधा के सर्जक थे, बल्कि उत्कृष्ट कोटि के इतिहासकार और पत्रकार के रूप में भी खासे प्रसिद्ध थे। प्रो जीवकांत मिश्र ने कहा कि मैथिली के कालजयी रचनाकार के रूप में वे अपनी रचनाओं में हमेशा जीवंत बने रहेंगे।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ भीमनाथ झा ने कहा कि पं चन्द्रनाथ मिश्र अमर ने आजीवन अपनी लेखनी से मैथिली साहित्य का बहुआयामी विकास किया। डाॅ महेन्द्र नारायण राम ने कहा कि मैथिली के वे अकेले ऐसे साहित्यकार थे जिनकी रचनाओं में गुदगुदी के साथ गंभीर चिंतन का सुंदर समावेश देखने को मिलता है।
मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने कहा कि साहित्य अकादमी एवं कई अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित पं चन्द्रनाथ मिश्र अमर एक कुशल शिक्षक होने के साथ-साथ मैथिली साहित्य के ऐसे अनमोल हस्ताक्षर थे, जिन्होंने मैथिली साहित्य को एक नई दिशा देने के साथ ही सामाजिक उत्थान के प्रति आजीवन समर्पित रहे।अमरजी के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने वाले अन्य लोगों में लनामिवि दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ अशोक कुमार मेहता, एमएलएसएम कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ विद्या नाथ झा, सीएम साइंस कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ प्रेम कुमार प्र