अनूप नारायण सिंह
मिथिला हिन्दी न्यूज पटना : . बिहार प्रदेश युवा कांग्रेस उपाध्यक्ष मंजीत आनन्द साहू ने राजधानी पटना सहित राज्य के सभी निजी अस्पतालों में कोरोना के मुफ्त ईलाज करने की मांग की है। मंजीत साहू ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय से अविलम्ब इस दिशा में निर्णय लेने की मांग किया है। उल्लेखनीय है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने राज्य के निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के मुफ्त इलाज का निर्णय लिया है। श्री साहू ने कहा कि राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देश को एक बड़ा रास्ता दिखाया है। उनका इस निर्णय के जितना अभिनन्दन किया जाय कम है।
श्री साहू ने कहा कि बिहार एक बेहद गरीब प्रदेश है। यहां के ज्यादातर लोग आभाव में जीते हैं। राज्य के आम जनों की पूरी जिम्मेवारी सरकार की है। यहां के छात्रों, युवाओं, गरीबों, मज़दूरों, किसानों, दुकानदारों को तभी बचाया जा सकता है जब उन्हें निःशुल्क और बेहतर ईलाज प्रदान किया जाय। आज पटना सहित प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में बहुत सारे लोग बिना जांच, बिना ईलाज अपना दम तोड़ दे रहे हैं। उन्हें देखने वाला कोई नहीं है। गरीबों को बेरोजगार छात्रों व युवाओं को अस्पताल, ऑक्सीजन दवाई ढूंढने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाना होगा। गरीबों के पास अस्पतालों के मुह देखने का भी कोई रास्ता होना चाहिए। बीते पंद्रह साल के तथाकथित सुशाशन काल मे स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के लिए कुछ किया गया होता तो आज हालात बेहतर होते।
श्री साहूे ने कहा कि सारण से भाजपा सांसद, पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूढ़ि पर अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं किया गया।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में कानून का राज स्थापित करने में पूरी तरह विफल हैं। रूढी ने सांसद निधि से खरीदे गए करीब दो दर्जन एम्बुलेंस को किस अधिकार के तहत छुपा रखा था। किसी भी सांसद अथवा जनप्रतिनिधि को यह अधिकार किस कानून के तहत प्राप्त है। कांग्रेस नेता साहू ने कहा कि यह एक बड़ा आपराधिक मामला है। कानून कहता है कि इस मामले में महामारी की धाराओं के तहत हत्या का मुकदमा दर्ज कर रूढ़ि को गिरफ्तार किया जाना चाहिए। जिन एम्बुलेंसेस से मरीजों की आवाजाही होनी है उससे बालू तक ढोने के वीडियो सामने आए हैं। इसके लिए एक जांच कमिटि गठित किया जाय। क्या नीतीश कुमार को अपना नारा "न्याय के साथ विकास और कानून का राज स्थापित करेंगे" याद नहीं है या वह भी चुनावी जुमला था।