राष्ट्रीय जनता दल के जिला अध्यक्ष सह लौकहा विधायक भारत भूषण मंडल ने जाप सुप्रीमो पप्पू यादव की गिरप्तारी का घोर निंदा की है। एवं सरकार से मांग किया है कि अबिलम्ब उनको रिहा किया जाय। ऐसे समय मैं जब सरकार पूरी तरह कोविड से प्रभावित लोगों की मदद करने मे नाकाम हो रही है तब अपने जान पर खेलकर कोविड पीड़ितों की हर तरह से सेवा करने वाले पूर्व सांसद पप्पू यादव गिरप्तारी पूरी तरह से अलोकतांत्रिक एवं तानाशाही पूर्ण कदम है। अस्पताल मे कोई व्यवस्था नही है। न बेड है, न तो ऑक्सीजन है , न बेंडिलेटर है और न ही मरीज को कोई देखने है। ऐसे मैं भारतीय जनता पार्टी के छपरा से सांसद राजीव प्रताप रूडी ने जनता के पैसे से खरीदे गए एम्बुलेंस को अपने हितों के लिए उपयोग कर रहे थे। यह सरासर बेशर्मी है। इस तरह के गैर जिम्मेदार प्रतिनिधि को गिरफ्तार करने के बजाय सच्चे जनसेवक को गिरफ्तार करना बिहार सरकार पर बीजेपी का बढ़ता हुआ दबाब है। जिसको किसी भी कीमत पर नीतीश कुमार को नही मानना चाहिए। केंद्र की सरकार इस कोरोना काल मे भी लगातार बिहार के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। एवं बिहार को नीचा दिखाने का प्रयास कर रहा है। जिसे नीतीश कुमार नही समझ रहे है। या कुर्सी प्रेम मैं सच नही बोल पा रहे है।कोविड वैक्सिंन भी बिहार को देने मे सरकार बहाना बना रही है। राष्ट्रीय जनता दल इस विपक्षी पार्टीयो के साथ मिलकर लालू रसोई शुरू करने जा रहा है, ताकि हर स्तर पर पीड़ितों की सेवा किया जा सके।
आज सरकार के कुव्यवस्था के कारण कोविड मरीजो के शव कचड़े की भाँति नदी मैं फेंक दिए जा रहे है ये अरबभाजपा जदयू के लोग झूठे विश्वगुरु का ढोल पटकर भारत देश के नागरिक को गुमराह कर रहा हैं जिन्होंने अंतरात्मा कुमार के सुशासन में अंतिम साँसें ली, या यूँ कहिए साँसों तक के लिए तरस गए! पर सुशासन बाबू की सदाचारी प्रशासन का मानना है कि ये शव बगल के हिन्दू हृदय सम्राट योगी अजय सिंह बिष्ट के रामराज्य वाले सूबे से बहकर आए हैं! सच कुछ भी हो, यह बात बिल्कुल सच है कि इतने 'अच्छे दिन' भगवान किसी देश को ना दिखाए! बड़ी चालाकी अथवा धूर्तता से लालू यादव के पहले और बाद के बिहार का कभी चर्चा ही नहीं किया गया। यानि 58 वर्ष बिहार में ग़ैर-लालू प्रसाद यादव की सरकार रही लेकिन उनके पहले और बाद की सभी समस्याओं का ज़िम्मेवार लालू यादव को ठहराया जाता है। बिहार में बाढ़ , सुखाड़ या जल-जमाव हो, व्रजपात हो, चमकी बुखार हो, कालाज़ार हो, कुशासन हो, पलायन-बेरोज़गारी हो, बदहाल शिक्षा-स्वास्थ्य व्यवस्था हो, सैंकड़ों घोटाले हो, अपराध, बलात्कार, व्याभिचार और भ्रष्टाचार हो सभी 58 सालों का दोष लालू यादव के नाम मढ़ दिया जाता है। लालू यादव के बाद का बिहार कुछ मीडिया द्वारा प्रायोजित सुशासन है। विगत वर्षों में कथित सुशासन की जो असल बहार देश देख रहा है वह दरअसल सोशल मीडिया की देन है। अन्यथा तो नीतीश कुमार ने चंद लोगों को ही PR का ठेका दिया हुआ है। उनके अलावे राजद के जिला प्रवक्ता इन्द्रजीत राय, किसान प्रकोष्ट के जिला अध्यक्ष देवनारायण यादव,राजकुमार यादव, रामकुमार यादव,अरुण चौधरी, सुधीर यादव,असलम अंसारी, जिला पार्षद बन्दना देवी, अजितनाथ यादव, मधु राय, संजय कुमार यादव एवं अन्य मौजूद थे।