- चौपाल के माध्यम से जागरूक हो रहे ग्रामीण
- केयर के ब्लॉक मैनेजर सतीश कुमार सिंह कर रहे हैं लोगों को जागरूक
प्रिंस कुमार
एईएस/जेई बुखार पर प्रभावी नियंत्रण व बचाव के लिए पूर्वी चम्पारण के पकड़ीदयाल सहित विभिन्न प्रखंडों चकिया, मेहसी, आदापुर, मधुबन, पताही, प्रखंडों में स्वास्थ्य कर्मियों, जीविका दीदियों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं औऱ केयर कर्मियों के सहयोग से जागरूकता/ चौपाल का आयोजन आरम्भ कर दिया गया है । केयर के ब्लॉक मैनेजर सतीश कुमार सिंह ने बताया कि पकड़ीदयाल क्षेत्र के अन्तर्गत नगर पंचायत वार्ड-14 आंगनबाड़ी-केन्द 36 मुशहर टोली परसौनी वार्ड 14 में चौपाल का आयोजन कर चमकी बुखार से बचाव एवं उपचार के बारे में विस्तृत चर्चा की गई। जिसमें बच्चों को धूप में न निकालने, खाली पेट न सोने देने, कम से कम रात को मीठा खिलाने और ओआरएस का घोल देने के बारे में बताया गया। बुखार या कोई भी दिक्कत होते ही तुरंत सरकारी अस्पताल जाने की सलाह दी गई । चौपाल में चमकी बुखार के लक्षण की पहचान, बचाव और सावधानी के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया । ग्रामीण चौपालों में महिलाओं की सकिय भागीदारी देखने को मिल रही है । जिससे वे अपने बच्चों पर नजर रख रही हैं । साथ ही बच्चों को बेवजह धूप में घरों से बाहर निकलने पर भी रोक लगा रही हैं ।
अभियान चलाकर लोगों को चमकी बुखार के बारे में सावधानी बरतने के उपाय बताने के निर्देश दिए गए हैं -
पकड़ीदयाल की चिकित्सा प्रभारी डॉ वीणा कुमारी दास ने कहा कि राज्य सरकार के आदेशानुसार पूर्वी चम्पारण जिले के एईएस/जेई प्रभावित क्षेत्रों में लगातार अभियान चलाकर स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा लोगों को चमकी बुखार के बारे में सावधानी बरतने के उपाय बताने के निर्देश दिए गए हैं। अनुमंडलीय अस्पताल पकडी़दयाल के धनौजी पंचायत में पूर्व में भी वार्ड 06 में एईएस/ जेई चौपाल का आयोजन किया गया । जिसमें बाल विकास परियोजना पदाधिकारी रेखा कुमारी, ने बताया कि मस्तिष्क ज्वर एक महामारी के रूप में मुजफ्फरपुर, एवं पूर्वी चंपारण में साल के अप्रैल माह से जुलाई तक फैलता है । 95% केस इसी समय मिलते हैं । इस रोग से 6 माह की उम्र से 15 वर्ष तक के बच्चे प्रभावित होते हैं । चमकी से बचने के लिए बच्चों को धूप से बचायें । साफ सफाई अपनाएं । बच्चों को संतुलित आहार दें । रात में खाली पेट न सोने दें । उन्होंने बताया चमकी बुखार से बचने के लिए प्रखंडों में पूर्व से ही जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। जिसमें स्वास्थ्य कर्मियो के साथ, आशा, जीविका दीदियों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता काफ़ी सहयोग कर रही हैं।
अनुमंडलीय अस्पताल में एईएस के इलाज की व्यवस्था उपलब्ध कराई गयी-
सिविल सर्जन डॉ अखिलेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि-
पकड़ीदयाल अनुमंडलीय अस्पताल में एईएस के इलाज की व्यवस्था उपलब्ध कराई गयी है। साथ ही मरीजों को किसी भी प्रकार की तकलीफ न हो इसके लिए आवश्यक, संसाधनों, एवं दवाओं का ससमय क्रय करने का आदेश दिया गया है।
उन्होंने बताया कि चमकी में बहुत तेज बुखार आता है ।
30 मिनट में अगर बच्चे का इलाज शुरू नहीं किया गया तो उसे बचाना भी मुश्किल हो जाता है । ज्यादा देर होने पर बच्चे के दिमाग में मस्तिष्क ज्वर फैलता है जिससे दिमागी और शारीरिक पैरालाइसिस का भी अटैक हो सकता है । जिससे उनकी मृत्यु तक हो सकती है ।
पूर्वी चम्पारण के सिविल सर्जन डॉ अखिलेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा - अगर किसी भी मरीज के परिजन गाड़ी को प्राइवेट भाड़े कर स्वास्थ्य केंद्र पहुंचते हैं तो उनके भाड़े की राशि उन्हें तुरंत मुहैया कराई जाए । मरीज के रहने खाने एवं ठहरने के लिए सरकारी अस्पताल द्वारा प्रबंध किए जाएं ।
जागरूकता ही सर्वप्रथम बचाव है :
केयर इण्डिया के डिस्ट्रिक्ट टीम लीड अभय कुमार ने बताया एईएस को लेकर समुचित जानकारी एवम सुरक्षा ही सर्वप्रथम बचाव है। चमकी बुखार के लक्षण, बचाव,सावधानियां, एवं एम्बुलेंस की सुविधा के बारे मे विस्तृत चर्चा की गयी । साथ ही चौपाल में शामिल हुए जनप्रतिनिधियों से भी अनुरोध किया गया कि वह अपने आस-पास के बच्चों पर ध्यान दें । चौपाल में मिली जानकारी को ज्यादा से ज्यादा लोगों मे फैलाएं ।
आयोजित चौपाल के मौके पर बाल विकास परियोजना पदाधिकारी रेखा कुमारी, प्रखण्ड स्वास्थ्य प्रबंधक अवनीश कुमार, महिला पर्यवेक्षिका प्रिया, केयर इंडिया के प्रखण्ड प्रबंधक सतीश कुमार सिंह , जेडएलपीपी की फीमेल फैसिलिटेटर ऋचिका कुमारी और मेल फैसिलिटेटर सूरज कुमार, सीएचसी संजय कुमार, सेविका , सहायिका
वीणा कुमारी, विकास जॉन तिर्की . आइसीटी देवेंद्र दिवाकर, ग्रामीण समेत कई लोग चौपाल में उपस्थित थे ।
चमकी से बचाव के उपाय:
- बच्चे को रात में बिना खाना खाए ना सोने दें।
- सोने से पहले रात के भोजन में मीठा वस्तु जरूर खिलाएं ।
- रात में तीन चार बार उसके शरीर की जांच करें कि बच्चा बेहोश तो नहीं
-ज्यादा बुखार होने पर उसे दवाई देते रहें एवं पट्टियां लगाते रहें ।
- सुबह उठकर भी माता-पिता अपने बच्चे को जगा कर उसकी स्थिति पर ध्यान दें।