राजद जिला अध्यक्ष सह लौकहा विधायक भारत भूषण मंडल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर केंद्र की सरकार पर हमला करते हुए कहा है। कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओ एवं मुख्य रूप से देश के प्रधानमंत्री के अदूरदर्शी एवं जनविरोधी फैसले ने सारे देश को महामारी के चपेट मैं लाकर खड़ा कर दिया है। दवाई,ऑक्सीजन,वेड एवं वेक्सीन, के अभाव के कारण चारो तरफ हाहाकार जैसे हालात पैदा हो गया है नौ सौ करोड़ वैक्सीन विदेश भेजकर भारत के करोड़ो लोगो को भगवान भरोसे मरने के लिए छोड़ दिया है। ऐसा नकारा नेतृत्व देश के नागरिकों ने पहले कभी किसी आपदा मैं नही देखा था अस्पताल से लेकर नदियों तक मैं लाशों का ठेर लगा हुआ है ऐसा लगता है।कि केंद्र और राज्य की सरकार ने पूरी तरह जिम्मेदारी से मुँह मोड़ लिया है। सुप्रीम कोर्ट एवं हाई कोर्ट के लगातार फटकार के बाद भी सरकार जिम्मेदारी से काम नही कर रही है।बंगाल चुनाव को आठ चरणों मे कराकर तथा कुंभ जैसे मेले का आयोजन कर सरकार ने इस महामारी और विकराल बनाने का काम किया है।जिसके कारण निपटना कठिन दर कठिन होते जा रहा है। बंगाल चुनाव मे हुई हार मोदी और संघ परिवार को नही पच रहा है।जिसके कारण संघ के इसारे पर केंद्र की सरकार ममता बनर्जी को बर्खास्त करने के लिए बंगाल मैं कई जगहों पर दंगा करवाकर सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रहा है। किसी भी तरह के अंतराष्ट्रीय संस्था,मीडिया एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन की सलाह तक को मानने को तैयार नही है। भाजपा जैसे राजनीतिक पार्टी को न तो लोकतंत्र एवं न संविधान मैं आस्था है। और न संघवाद में आस्था है।वैसे राजनीतिक दलों से हम लोकतांत्रिक मर्यादा की कल्पना नही कर सकते है। यह देश आज तक तानाशाही को बर्दाश्त नही किया है। और आगे भी नही करेगा। समय आने पर मोदी जी की बिदाई तय है। मोदी जी का यह कहना अपनी अक्षमता छुपाना है कि हमारे सामने अदृश्य दुश्मन है। दुश्मन न तो अदृश्य है और न ही उसका पल पल परिवर्तित वेश ही अदृश्य है। 30 जनवरी 2020 को उस दुश्मन को देख, परख और जान लिया गया था। उसकी फितरत अयां हो गयीं थी, पर जनता जहां उस अदृश्य दुश्मन से बचने के लिये हांथ गोड़ धो रही थी, और मास्क पहन रही थी, सरकार ने आंखे ढंक ली थीं, नमस्ते ट्रम्प का आयोजन कर रही थी और स्वास्थ्य मंत्री 13 मार्च 2020 तक यही कह रहे थे कि कोरोना एक मेडिकल इमर्जेंसी नही है। और जब वे यह सब कह रहे थे, कोरोना वायरस बगल में खड़ा भविष्य की योजनाएं बना रहा था। अदृश्य कोरोना नही था अदृश्य सरकार, उसकी प्राथमिकताएं और गवर्नेस थीं और है। जब सरकार को हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर दुरुस्त करना चाहिए था, लोगो को नकद धन देकर बाजार में मांग और आपूर्ति का संतुलन बनाये रखना चाहिए था तो, सरकार, देश की कृषि संस्कृति को बर्बाद करने के गिरोही पूंजीवादी षडयंत्र में लिप्त थी। कैसे यह तीनो कृषि कानून संसदीय मर्यादाओं को ताख कर रख कर पास करा दिया जाय, इसके जोड़ गांठ में लगी थीं। उसका ध्यान ही महामारी के नियंत्रण और निदान की ओर नहीं था। और आज भी जब वह महामारी नियंत्रण की समीक्षा करने बैठती है तो आपदा की आड़ में आईडीबीआई बैंक को बेचने का अवसर हांथ से नहीं जाने देती है ! राष्ट्रीय जनता दल नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के निदेश एवं आदरणीय राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के आह्वान पर तन,मंन,धन के साथ इस महामारी मैं लोगो के सेवा मैं तत्पर है।और लगातार लोगो को सेवा कर रहा है।