मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम उत्तर से दक्षिण की यात्रा की, भगवान् श्रकृष्ण पुरव से पश्चिम की यात्रा कर आर्यावर्त को संगठित करने का काम किए। जबकि तत्कालीन भारतवर्ष में क्षीण होती जा रही सनातन धर्म, शिक्षा और संस्कृति के उत्थान के लिए आदि शंकराचार्य ने भारतवर्ष के चारो दिशाओं की यात्रा कर चार मठो की स्थापना की।उक्त बाते समाजवादी विचार मंच के अध्यक्ष रीतेश कुमार गुड्डू ने आदि शंकराचार्य की जयंती के अवसर पर वर्चुयल माध्यम से हुई संवाद में कहीं। रीतेश कुमार गुड्डू ने कहा कि उस समय भारत में सनातन धर्म और संस्कृति क्षीण होती जा रही थी लोगो का झुकाव बुद्ध और जैन धर्म की आेर होती जा रही थी तब आदि शंकराचार्य ने शास्त्रार्थ की चुनौती देकर भारतवर्ष में सनातन धर्म प्रचार प्रसार के लिए दक्षिण में श्रृंगेरी मठ, पुरव में गोवर्धन मठ,पश्चिम में शारदा मठ एवं उत्तर ज्योतिर्मठ एवं रक्षा के लिए अखाड़ा की स्थापना कर नागा परम्परा की शुरुआत की। रीतेश कुमार गुड्डू ने कहा कि जो परम्परा को तोड़कर समाज को नई विचार दे वही ब्राह्मण,और आदि शंकराचार्य ने गृहस्थ आश्रम को त्याग करने के बाबजूद भी अपनी मां को दिए वचन को निभाने के लिए अपनी मां की मृत्यु के बाद घर वापस आकर पुत्र के कर्तव्य का पालन करते हुए एक परम्परा की शुरुआत की। भाजपा नेता राजीव कुमार सिंह राजू ने कहा कि मात्र बत्तीस वर्ष की आयु में लगभग पूरे भारत की यात्रा कर सनातन धर्म का पुनर्जागरण करने का काम किए भारत वर्ष में अपने धर्म को छोड़कर जा रहे लोगो की घर वापसी कराई। अध्यक्षता सुधीर कुमार द्विवेदी ने किया एवं विचार व्यक्त करने वालो में सर्वश्री विकास कुमार सिंह, विजय कुमार वर्मा, सुभाष कुमार दास, राम मनोहर झा, राजेश कुमार झा, रमेश कुमार पासवान,आदि प्रमुख थे।