कोरोना संकट के बीच ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस और येलो फंगस ने लोगों की मुसीबतें बढ़ा दी थीं. और अब नाम की नई समस्या भी सामने आ रही है. इस बिमारी का नाम है MES-C है जो राजधानी पटना के अस्पताल में अभी तक इस बीमारी के चपेट में आने वाले 7 बच्चे इलाज के लिए भर्ती किए गए हैं. इसकी चपेट में वो बच्चे आ रहे हैं जो कोरोना संक्रमित हुए थे या फिर उनके घर में किसी को कोरोना हो गया था. यह बीमारी 18 वर्ष उम्र तक के किसी भी बच्चे में हो सकता है. हालांकि 12 साल से कम आयु के बच्चों में इससे अधिक खतरा रहता है. इससे पहले भी 2020 में गुजरात के सूरत में एक बच्चा कोरोनावायरस से ज्यादा खतरनाक बीमारी से परेशान हुआ. लेकिन एक हफ्ते की जद्दोजहद के बाद ठीक भी हो गया. इस बीमारी का नाम है मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम. सूरत में इस बीमारी से ग्रसित बच्चा भारत का पहला केस था। MIS-C बहुत कुछ कावासाकी बीमारी जैसी है. इन दोनों के लक्षण भी मिलते जुलते हैं. ज्यादा बुरी हालत होने पर बच्चे टॉक्सिक शॉक और मैक्रोफेज एक्टीवेशन सिंड्रोम से भी जूझते हैं.MIS-C का शुरुआती लक्षण होता है पेट में दर्द, डायरिया, उलटी, रक्तचाप में कमी. इसके अलावा आंखें लाल हो जाती हैं. गले और जबड़े के आसपास सूजन, दिल की मांसपेशियां ठीक से काम नहीं करतीं, फटे होंठ, त्वचा पर लाल रंग के चकते या सूखे के निशान, जोड़ों में दर्द, हाथ-पैर की उंगलियों में सूजन भी दिख सकती है.