अनूप नारायण सिंह
मिथिला हिन्दी न्यूज :- विश्व तीरंदाजी प्रतियोगिता में भारत के लिए 1 दिन में तीन स्वर्ण पदक जीतने वाली झारखंड की बेटी दीपिका के लिए बिहार के विज्ञान प्रौद्योगिकी मंत्री सुमित कुमार सिंह ने अपने वॉल पर लिखा बधाई संदेश आप भी पढ़िए।आज दीपिका ने कमाल कर दिया। यह कोई फिल्मी सितारा दीपिका नहीं, संघर्ष की वेदी पर आगे बढ़ तमाम मुश्किलों को मात देने वाली विश्व की नंबर एक तीरंदाज दीपिका कुमारी महतों है। इस बेटी की सफलता को सलाम, उन्हें दिल से नमन! दीपिका कुमारी ने तीरंदाजी विश्व चैंपियनशिप में तीन स्वर्ण पदक जीत कीर्तिमान कायम किया है। यह हमारे पूर्ववर्ती संयुक्त बिहार(झारखंड) की बेटी हैं। पेरिस में आयोजित इस वैश्विक प्रतियोगिता में 55 देश शामिल थे, उसमें एक के बाद एक तीन स्वर्ण पदक जीतना भारत के लिए अतुलनीय गौरव की बात है। आज पूरे भारत की बेटियों के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा है बेटी दीपिका। मैं अपने स्तर पर ऐसी बेटियों के लिए कुछ भी कर सकूं तो यह मेरे लिए गौरव की बात होगी। हालांकि, बेटियों को हर मुमकिन सुविधा और उनकी उम्मीदों की उड़ान को खुला आसमान मिले, इसका मैं शुरू से समर्थक रहा हूं, लेकिन दीपिका जैसी बेटियां मुझे भी कुछ कर गुजरने की प्रेरणा देती है, तमन्ना पैदा कर देती है।इतना आसान नहीं है दीपिका बन जाना, उन्हें कोई सफलता प्लेट में सजाकर नहीं दी गयी थी। उन्होंने अपने लग्न, संकल्प, जिजीविषा और परिश्रम से इसे साकार किया। तभी तो महज 27 वर्ष के उम्र में सारे विघ्न बाधाओं को मात देकर दीपिका ने इस उपलब्धि को हासिल किया है। एक ऑटो ड्राइवर शिव नारायण महतों जी एवं रिम्स रांची में नर्स गीता महतों जी की बेटी ने अपनी इस छोटी उम्र में तीरंदाजी विश्व कप की विभिन्न प्रतियोगिताओं में कुल दस स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। एशियाई खेल, राष्ट्रमंडल खेलों में भी कई स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। दीपिका ने विश्व कप में पहला स्वर्ण पदक मात्र 18 वर्ष के उम्र में जीता था। यह बहुत बड़ी बात है। जबकि इस बेटी ने तीरंदाजी के लिए अभ्यास आम पर पत्थर से निशाना लगाने से शुरू किया था। बाद में बांस के बने तीर-धनुष से प्रैक्टिस करने लगी। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत बेहतर नहीं थी, उनके लिए आधुनिक तीर-धनुष और अन्य उपकरण खरीद कर देना संभव नहीं था।
करत-करत अभ्यास और जीतने की जिद ने बेटी दीपिका कुमारी महतों को दुनिया की नंबर के तीरंदाज बना दिया। हालांकि इस संघर्ष में दीपिका को अपने रिश्ते में बहन विद्या से बहुत मदद एवं प्रेरणा मिली। आधुनिक तीरंदाजी की विधिवत प्रशिक्षण भी वहीं से शुरू हुई। हमारे पास ऐसी लाखों प्रतिभाएं हैं जो दीपिका जैसी हैं, उन्हें अवसर नहीं मिल पाता है। उन्हें सहेजने संवारने की जरूरत है। मानसिकता बदलने की भी जरूरत है हम किसी फिल्मी दीपिका या, किसी बड़े नाम के पीछे भागने के बजाय भारत के ऐसे संतान को संरक्षित करें तो विश्व के हर पदक पर भारत का नाम होगा।