आलोक आजाद ने बताया की इस संपूर्ण विवाद की शुरुआत शिक्षा विभाग के द्वारा लगातार अपने स्टैंड में बदलाव है। जिसकी शुरुआत निदेशक माध्यमिक शिक्षा के पत्रांक 9 तथा दिनांक 28.08.2019 से के विज्ञापन से हुई।जिसके अनुसार नियुक्ति का आधार कुल पद के अनुसार जोकी माध्यमिक शिक्षा में 25270 तथा उच्च माध्यमिक शिक्षा में 12065 है के कुल पद 37335 के बराबर अभ्यार्थियों का विषयवार और कोटिवार मेघा सुची तैयार किया जाएगा।जिसमें सामान्य अंक होने पर अधिक उम्र वाले अभ्यार्थियों को वरियता देने की बात कही गई है।
आलोक आजाद ने बताया की इसके बाद निदेशक माध्यमिक शिक्षा का एक पत्र 30.08.2019 को निकला जिसके अनुसार उच्च माध्यमिक विद्यालयों के लिए कंप्यूटर साइंस विषय में पूर्व की रिक्तियों के अतिरिक्त एक हजार रिक्तियां के लिए पात्रता परीक्षा आयोजित करने की बात कही गई।इस पत्र में यह भी निर्देश दिए गए की माध्यमिक शिक्षा पात्रता परीक्षा 2019 के लिए उपलब्ध कराई गई रिक्तियों के बराबर अभ्यार्थियों को उतीर्ण कराया जाए।इसके बाद 10.07.2019 को अपर सचिव आर के महाजन के अध्यक्षता में आयोजित बैठक में विषयवार और रिक्तिवार माध्यमिक पात्रता परीक्षा का परिणाम घोषित करने पर सहमति बनी थी।
आलोक आजाद ने बताया की शिक्षा विभाग ने कोर्ट को बताया की एसटीइटी 2019 एक पात्रता नहीं बल्कि प्रतिस्पर्धी प्रकृति की परीक्षा है जिस से उनको बेस्ट टीचर सेलेक्ट करना हैं।इसके बावजूद नियमों में लगातार बदलाव किया जा रहा है।जिसके कारण विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है।
अलोक आजाद ने बताया की शिक्षा विभाग के द्वारा कोर्ट को दिये गए काउंटर के अनुसार वर्तमान में माध्यमिक विद्यालय में 40133 तथा उच्च माध्यमिक विद्यालय में 40663 पद खाली है।जिसकी कुल संख्या 80796 होती है।जिसके कारण माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ाई बाधित हो रही है।
उन्होंने मुख्यमंत्री के बिहार के युवाओं को बिहार में रोजगार देने की घोषणा तथा शिक्षा मंत्री के सभी एसटीइटी पास अभ्यर्थियों की बहाली की घोषणा के अनुरूप शिक्षा विभाग से माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक विद्यालयों में वर्ष 2021 तक की सभी रिक्तियों को एकत्रित कर शिक्षा विभाग की बहाली को केंद्रीयकृत करते हुए सीटीईटी परीक्षा के तर्ज पर सभी अभ्यर्थियों की बहाली को सुनिश्चित करने की मांग की है। जिससे माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक विद्यालयों में लगभग एक लाख शिक्षकों की बहाली सुनिश्चित हो सकेगी।
आलोक आजाद ने कहा कि जब नियमों में बदलाव हो सकता है तो रिक्तियों की संख्या क्यों नहीं बढ़ाया जा रहा है।यदि रिक्तियों की संख्या बढा़ दिया जाए तो शिक्षक छात्र अनुपात भी ठीक हो जाएगा और बिहार के युवा बेरोजगारों को रोजगार भी मिल जाएगा।