नवादा हिसुआ अक्सर आमलोगों के घरों में देखने को मिलता है कि अगर उसके नौनिहाल खाना नहीं खाते हैं या फिर दूध पीना नहीं चाहते तो मां-बाप उन्हें मनाने के लिए स्मार्ट फोन थमा देते हैं.क्यौंकि इन्हें यह पता नहीं है कि वे अपने नौनिहाल के भविष्य को किस ओर ले जा रहे हैं.नौनिहाल स्मार्ट फोन की दुनिया में खोते चले जा रहे हैं.उनकी नींद छिन रही है और उसकी आंखों की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है.
ऐसे असर डालता है स्मार्ट फोन : अक्सर ये देखा जा रहा कि अगर बच्चा खाना नहीं खा रहा है या फिर वह रो रहा है तो माता-पिता उसे चुप कराने के लिए स्मार्ट फोन दे देते हैं.इसके बाद बच्चा फोन में कार्टून देखने लगता है, मगर इसका दुष्प्रभाव बच्चों की आंखों पर पड़ रहा है.बच्चे को कम उम्र में आंखों में रोशनी कम होना,माइग्रेन और माथा दर्द जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं.छोटे बच्चों को स्मार्ट फोन पर कार्टून दिखाने की प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही है. अभिभावक बच्चों को चुप और व्यस्त रखने के लिए स्मार्ट फोन का सहारा ले रहे हैं.बच्चों को भी फोन का साथ पसंद आ रहा है.ऐसे में वे घंटों गर्दन झुकाए स्मार्ट फोन की स्क्रीन पर नजर जमाए रहते हैं.शुरुआत में तो ये सब बहुत अच्छा लगता है,लेकिन बाद में ये परेशानी का सबब बनता जाता है.
अधिकांश नौनिहालों में नींद की कमी देखी जा रही है,जिस कारण पर्याप्त नींद नहीं लेने से बच्चों की मानसिकता को नुकसान होता जा रहा है.साथ ही लगातार स्मार्ट फोन से चिपके रहने से आंखों को भी नुकसान होता है.बच्चों को पर्याप्त नींद लेना जरूरी है, लेकिन स्मार्ट फोन की लत लग जाए तो बच्चे माता-पिता से छिपकर रात को स्मार्ट फोन पर गेम खेलते रहते हैं या फिर कोई मूवी आदि देखते हैं,जिससे उनके सोने के समय में तो कटौती होती ही है,साथ ही लगातार स्मार्ट फोन से चिपके रहने से आंखों को भी नुकसान होता है साथ ही उसका चिड़चिड़ापन बढ़ रहा होता है.
कहते हैं चिकित्सक : कान-नाक गला विशेषज्ञ डॉ. सुरेन्द्र प्रसाद सिंह का कहना है कि जिन बच्चों को आंखों में दर्द होना लाइट के प्रति सेंसेटिव होने की शिकायत है तो ये खतरे की घंटी है. मोबाइल का आंखों के अलावा बच्चों के मेंटल और फिजिकल एक्टिविटीज पर भी असर पड़ता है.वहीं नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.आनंद का कहना है कि पिछले कुछ समय में तीन से छह साल तक के बच्चों की नजर कमजोर होने की शिकायत बढऩे लगी है.बच्चों में आंखों का मिचमिचाना, भारीपन,थकावट,सिर में दर्द जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं.ऐसे में माता-पिता को साल में एक बार अपने बच्चों का आइ चेकअप जरुर कराना चाहिए और एंड्रॉयड फोन से उसे हर हाल में दूर रखना चाहिए.
फोटो : स्मार्ट फोन में मगन 4 साल की बच्चा