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बिहार में बदलाव की एक नई लकीर खींचने की तैयारी में है ये आईपीएस अधिकारी

अनूप नारायण सिंह 


मिथिला हिन्दी न्यूज :- #LetsInspireBihar अभियान से प्रभावित होकर बक्सर की मुस्कान ने बनाया वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी विकास वैभव का छायाचित्र तो भावुक होकर अपने फेसबुक वॉल पर उन्होंने लिखा पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से हो रहा है वायरल। वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी व बिहार सरकार गृह विभाग में विशेष सचिव विकास वैभव जी ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि
प्राचीन काल से ही #ज्ञान की भूमि रही #बिहार के युवाओं में आज भी समाहित है वही अद्भुत प्रेरणा जो कभी याज्ञवल्क्य, अष्टावक्र, गार्गी वाचक्नवी, मैत्रेयी, आर्यभट्ट, दीपंकर अतिश समेत असंख्य विद्वानों एवं विदुषियों के अभ्युदय की साक्षी रही है । भले ही आज बिहार में अनेक ऐसे युवा भी दर्शित होते हैं जो दिग्भ्रमित होकर अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु अपेक्षित परिश्रम के निर्धारित मार्गों से विमुख होकर अल्पयुक्तियों (जिसे जुगाड़ या शार्टकट कहते हैं) के उद्भेदन में ही अपनी नैसर्गिक प्रतिभा की आहुति समर्पित कर देते हैं परंतु ऐसे उदाहरणों की भी कमी नहीं है जो आज भी कैसी भी विषम परिस्थितियों का सामना धैर्य एवं परिश्रम के साथ करते हुए अपने परिवार, समाज तथा राष्ट्र को गौरवान्वित कर रहे हैं तथा सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत रूप में स्थापित हो रहे हैं । आज मुझे बिहार के बक्सर जिले में आठवीं कक्षा में अध्ययनरत अद्भुत प्रतिभावान छात्रा मुस्कान से मिलने का सौभाग्य मिला, जो कम उम्र से ही कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान समर्पित कर रहीं है । 

#LetsInspireBihar अभियान से प्रेरित मुस्कान द्वारा सोशल मीडिया पर पूर्व में मेरे द्वारा साझा किए गए एक छायाचित्र के आधार पर एक सुंदर रेखाचित्र बनाकर मुझे सोशल मीडिया पर ही उसकी छायाचित्र एवं लघु चलचित्र (फोटो/वीडियो) इसी 11 जून को प्रेषित किया गया था । छात्रा की अद्भुत प्रेरणा एवं प्रतिभा को देखकर तब मैं अत्यंत प्रभावित हुआ था और अपनी अनुभूतियों को मैंने उसी दिवस ट्विटर तथा इंस्टाग्राम पर साझा भी किया था । मन में इस प्रतिभावान छात्रा से मिलने की इच्छा हो रही थी परंतु कैसे आमंत्रित किया जाए यह सोच ही रहा था कि अचानक अपने पिताजी के साथ वह स्वयं मुझे चित्र भेंट करने आज पाटलिपुत्र आ गई जिससे अत्यंत व्यस्त समय में भी प्रसन्नता की कोई सीमा नहीं रही । संक्षिप्त भेंट में ही यह जानकर कि मुस्कान बड़ी होकर कला के क्षेत्र में ही योगदान समर्पित करते रहना चाहती हैं और इसके लिए इनके पिताजी द्वारा प्रोत्साहित भी किया जा रहा है, #यात्री_मन प्रसन्न होकर बिहार के उज्ज्वलतम भविष्य के निमित्त अत्यंत आशान्वित हो उठा । मुस्कान को शुभकामनाओं सहित मैंने यह आश्वासन भी दिया कि यदि भविष्य में किसी प्रकार के मार्गदर्शन अथवा सहयोग की आवश्यकता प्रतीत हुई जिसके निमित्त मैं सक्षम सिद्ध हुआ तो बिहार के इस उभरते कलाकार की यात्रा में सहयोगी बनने का प्रयास अवश्य करूँगा । 

मिलने पर मैंने उज्ज्वलतम भविष्य हेतु शुभकामना संदेश अंकित करते हुए एक दैनंदिनी तथा कलम भेंट करते हुए बिहार के आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत पर चर्चा की तथा मुस्कान को यह बताया कि बिहार ही ज्ञान की वह भूमि रही है जहाँ वेदों ने भी वेदांत रूपी उत्कर्ष को प्राप्त किया । ज्ञान की प्राचीन बौद्धिक परंपरा के कारण ही कालांतर में बौद्ध और जैन धर्मों के दर्शन सहित अनेक तत्वों एवं सिद्धांतों का जन्म हुआ और नालंदा एवं विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयों की स्थापना संभव हो सकी । जहाँ ज्ञान की ऐसी अद्भुत प्रेरणा रही, वहाँ #शौर्य का परिलक्षित होना भी स्वाभाविक ही था और इसी कारण कभी बिहार से ही संपूर्ण अखंड भारत का शासन संचालित था और वह भी तब जब वर्तमान की भांति न सुगम मार्ग थे और न विकसित प्रौद्योगिकी । ऐतिहासिक काल में यह भूमि हमारे पूर्वजों में समाहित #उद्मिता के सूत्रों हेतु भी समस्त विश्व जगत में प्रसिद्ध रही । जिस भूमि ने प्राचीनतम काल में ही ऐसे कीर्तिमानों को प्राप्त किया था, यदि उनकी स्वाभाविक प्राकृतिक अभिवृद्धि भी हुई रहती तो निश्चित ही वर्तमान का स्वरूप अत्यंत भिन्न रहता । परंतु यदि ऐसा संभव नहीं हो सका और यदि वर्तमान एवं भविष्य के संबंध में चिंतन करने पर नकारात्मक विचारों की स्थापना युवाओं के मध्य होते हुए हम अनुभव कर रहे हैं तो हम यह समझना भी होगा और यह समझाना भी होगा कि इस प्रकार के भाव सर्वथा अनुचित हैं । 

नकारात्मक भावनाओं के प्रतिकार हेतु हमें स्वाभाविक उत्कर्ष की प्राकृतिक परंपरा के बाधित होने के कारणों पर चिंतन करना होगा और वैसे में ही निश्चित रूप से स्पष्ट समाधान अवश्य मिलेंगे चूंकि भूमि तो वही है, उर्जा भी वही है और इसमें भला कहाँ संदेह है उन्हीं यशस्वी पूर्वजों के वंशज भी हम ही हैं जिनकी प्रेरणा आज भी मन को उद्वेलित करती है और कहती है कि यदि संकल्प सुदृढ़ हो तो इच्छित परिवर्तन अपने माध्यम स्वतः तय कर लेते हैं । अपनी अनुभूतियों को बिहार के इस उभरते कलाकार के साथ साझा कर अत्यंत आनंदित हुआ तथा जब विदा कर रहा था तब कहीं न कहीं मन निम्नलिखित स्वरचित पंक्तियों के स्मरण के साथ यही कह रहा था कि 
भविष्य परिवर्तन के निमित्त युवाओं द्वारा संकल्पित सकारात्मक चिंतन एवं योगदान ही दिशा स्थापित करने का एकमात्र विकल्प है । इतिहास की प्रेरणा में निश्चित ही वह अद्भुत शक्ति समाहित है जो बिहार समेत संपूर्ण भारतवर्ष के भविष्य को परिवर्तित करने की क्षमता रखती है । 

"पूर्व प्रेरणा करे पुकार, आओ मिलकर गढ़ें नव बिहार ।
नव चिंतन नव हो व्यवहार, लघु वादों से मुक्त हो संसार ।
ज्ञान परंपरा का विस्तार, दीर्घ प्रभाव का सतत् प्रसार ।
बृहतर चिंतन सह मूल्यों पर, आधारित युवा करें विचार ।"

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