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जयनगर में कॉमरेड चारू मजूमदर का 50 वीं शहादत दिवस मनाया गया

संवाद 

मिथिला हिन्दी न्यूज :- भाकपा -माले के संस्थापक कामरेड चारु मजूमदार के शहादत दिवस पर संकल्प सभा भाकपा -माले जयनगर के द्वारा जयनगर बस्ती पंचायत में आयोजित की और संकल्प सभा को संबोधित करते हुए प्रखंड सचिव भूषण सिंह ने कॉमरेड चारु मजमुदार के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महान किसान आन्दोलन और तेलंगाना सशस्त्र किसान आन्दोलन से प्रेरित माकपा में मौजूद क्रांतिकारियों ने कामरेड चारु मजूमदार के नेतृत्व में चीनी क्रांति के तर्ज पर मुक्त क्षेत्र और क्रांति कारी सत्ता के निर्माण के लिए पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिला के नक्सलबाड़ी में राज सत्ता के खिलाफ किसानों का ऐतिहासिक सशस्त्रविद्रोह शुरू कर दिया । अवसरवादी और संसोधवादी की वर्चस्वशाली वाली बंगाल की सरकार ने विद्रोह को कुचलने के लिए क्रूर दमन शुरू किया तब पार्टी में मौजूद क्रान्तिकारियों ने नक्सलबाड़ी के समर्थन में चारु मजूमदार के नेतृत्व में क्रांतिकारी कम्युनिस्टों की अखिल भारतीय समन्वय समिति में सन्गठित कर लिया ।उसके बाद पूरे देश में क्रांतिकारियों और अवसरवादियों के बीच सन्घर्ष काफी उग्र हो गया । क्रान्ति कारी लगातार एकजुट होते गए और टूटकर नक्सली मूवमेंट से जुड़ते रहे और यही समिति आगे चलकर भाकपा -माले में विकसित हो गयी और चारु मजूमदार उसके संस्थापक महासचिव बने।लगातार क्रांतिकारी आंदोलनों के कारण राजसत्ता हाथ धोकर कामरेड चारु मजूमदार के पीछे पड़ ग‌यी ।एक गद्दार के कारण कामरेड चारु मजूमदार को बिमारी की  
 हालत में गिरफ्तार कर कलकत्ता के लाल बाजार थाना में बन्द कर ,दवाई बन्द कर अमानवीय जुल्म ढाये और तड़पा, तड़पा कर उनकी हत्या कर दी गई । कॉमरेड चारु ने कहा था कि जनता के स्वार्थ ही पार्टी का स्वार्थ है,हम गोली से मरेंगे भूख से नही । कॉमरेड चारु मजमुदार हमारी क्रांतिकारी विरासत हैं जो हमे लगातार संघर्ष करने को प्रेरणा देते हैं,कामरेड चारु मजूमदार के नेतृत्व में चीनी क्रांति के तर्ज पर मुक्त क्षेत्र और क्रांति कारी सत्ता के निर्माण के लिए पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिला के नक्सलबाड़ी में राज सत्ता के खिलाफ किसानों का ऐतिहासिक सशस्त्रविद्रोह शुरू कर दिया । जनान्‍दोलनों के लिए तैयार हों!कॉमरेड चारु मजूमदार की हिरासत में हत्‍या के 49 साल पूरे हो रहे हैं और भाकपा (माले) के पुनर्गठन के 47 साल पूरे हो रहे हैं। आज उस 70 के तूफानी दशक के करीब 50 साल पूरे होने वाले हैं जिसका अंत 1975 में आपातकाल लगाने से हुआ था। आज एक बार फिर राज्‍य आपातकाल के दौर वाले दमनकारी चेहरे के साथ फिर से हाजिर है। यह उत्‍पीड़न और क्रूरता के मामले में अंग्रेजों के शासन को भी मात दे रहा है। राजनीतिक कैदियों की रिहाई, अंग्रेजों के समय के राजद्रोह कानून और आजादी के बाद के यूएपीए जैसे खूंखार कानूनों को रद्द करने की मांग एक बार फिर लोकप्रिय विमर्श का हिस्‍सा बन रही है। नागरिकता कानून में भेदभावपूर्ण संशोधन को वापस लेने, विनाशकारी कृषि कानूनों को रद्द करने, नये श्रम कानूनों को रद्द करने और श्रम अधिकारों की गारंटी करने, निजीकरण और मंहगाई पर रोक लगाने, मजदूरी बढ़ाने और रोजगार के अवसर पैदा करने, कोविड से हुई मौतों का मुआवजा देने, सबसे लिए शिक्षा व स्‍वास्‍थ्‍य की गारंटी करने की मांगें इस समय की मूल लोकतांत्रिक मांगें हैं। संकल्प सभा को तस्लीम, गुडडू गुप्ता, संजय कुमार, चन्दन कुमार, देवी पासवान ,फूलो देवी,मनोज कुमार, प्रमिला देवी,दुर्गा देवी, विन्दु देवी,अशलानी देवी सहित अन्य लोगों ने संबोधित किए।

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